महाराष्ट्र सियासी संकट: इस्तीफा देने चाहते थे उद्धव ठाकरे, MVA गठबंधन के नेता ने रोका- सूत्र
महाराष्ट्र में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के कारण सियासी संकट खड़ा हुआ है। हर दिन से साथ स्थिति बदलती जा रही है। इसी बीच बड़ी खबर सामने आई है कि विधायकों की बगावत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने दो बार इस्तीफा देने का मन बना लिया था, लेकिन महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन के एक शीर्ष नेता ने उन्हें ऐसा करने से रोक लिया। सूत्रों से मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है।
फेसबुक लाइव के दौरान ही करना चाहते थे इस्तीफे की घोषणा
NDTV के अनुसार, सूत्रों ने बताया कि 21 जून को एकनाथ शिंदे के अपने समर्थकों के साथ सूरत जाने के बाद मुख्यमंत्री ठाकरे ने शाम 5 बजे फेसबुक लाइव पर पद से इस्तीफा देने का मन बना लिया था। इसकी सूचना पर MVA गठबंधन के एक बड़े नेता ने उनसे बातचीत कर ऐसा न करने के लिए समझाया था। इसके बाद उन्होंने यह फैसला टाल दिया था। इसी के चलते फेसबुक लाइव आधे घंटे की देरी से शुरू हुआ था।
ठाकरे ने फेसबुक लाइव में क्या दिया था बयान
फेसबुक लाइव में इस्तीफा देने का निर्णय वापस लेने के बाद मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा था कि वह इस्तीफा देने के लिए तैयार है, लेकिन बागी विधायक उनके सामने आकर कहे कि वो उन्हें मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते। उन्होंने कहा था कि जिस विधायक को मुख्यमंत्री बनना है, वो उनके सामने आकर बताए। उनकी अब मुख्यमंत्री बने रहने की इच्छा नहीं है। उसके बाद वह मुख्यमंत्री आवास 'वर्षा' खाली अपने निजी आवास 'मातोश्री' लौट गए थे।
दूसरे दिन भी किया था इस्तीफा देने का निर्णय
सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री ठाकरे ने दूसरे दिन भी इस्तीफा देने का निर्णय कर लिया था। इसके चलते उन्होंने सचिवों को आखिरी धन्यवाद देने के लिए शाम चार बजे आवश्यक बैठक भी बुलाई थी, लेकिन MVA के उस बड़े नेता को इसकी भनक लग गई और उन्होंने फिर से ठाकरे को समझाकर ऐसा कदम उठाने से रोक लिया था। सूत्रों ने बताया कि उसके बाद मुख्यमंत्री ठाकरे ने स्थिति का डटकर मुकाबला करने का निर्णय किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दी बागी विधायकों को राहत
इधर, महाराष्ट्र का सियासी संकट सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है। मामले में सोमवार को सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना के बागियों को फौरी राहत दी है। कोर्ट ने उन्हें अयोग्यता नोटिस का जवाब देने के लिए 14 दिन का समय दिया है। इसी तरह डिप्टी स्पीकर नरहरि जिरवाल, मुख्य सचेतक सुनील प्रभु, विधायक दल के नेता अनिल चौधरी और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर पांच दिन में जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी।