संसद में अंबेडकर को लेकर संग्राम, अमित शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव का नोटिस
संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान दोनों सदनों में खूब हंगामा हो रहा है। अब डॉक्टर अंबेडकर पर दिए गए बयान को लेकर विपक्षी पार्टियों ने गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने शाह के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस पेश किया है। TMC का कहना है कि शाह ने संविधान निर्माता डॉक्टर अंबेडकर की विरासत और संसद की गरिमा को कमतर आंका है।
TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने पेश किया नोटिस
TMC सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सदन में शाह के खिलाफ नियम 187 के तहत विशेषाधिकार हनन को नोटिस पेश किया है। इससे पहले TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने भी गृह मंत्री पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, 'संसद संविधान के 75 गौरवशाली वर्षों पर विचार कर रही है, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने इस अवसर को लोकतंत्र के मंदिर में डॉक्टर बाबासाहेब अंबेडकर के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करके कलंकित करने का विकल्प चुना।'
शाह के किस बयान पर हो रहा है विवाद?
17 दिसंबर को राज्यसभा में संविधान पर बहस का जवाब देते हुए शाह ने कहा था कि कांग्रेस अभी अंबेडकर-अंबेडकर का जाप कर रही है, इतना जाप अगर भगवान का कर लेते तो स्वर्ग चले जाते। शाह ने कहा, "कांग्रेस को अंबेडकर का नाम लेने की ज्यादा जरूरत है, लेकिन जनता सब जानती है कि उसका मकसद क्या है?" कांग्रेस ने इस बयान को अंबेडकर का अपमान बताया और मल्लिकार्जुन खड़गे ने शाह के इस्तीफे की मांग की।
प्रधानमंत्री बोले- कांग्रेस गलतफहमी में है
मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कांग्रेस पर निशाना साधा है। उन्होंने लिखा, 'एक बार नहीं, बल्कि 2 बार चुनाव में हार दिलाई। पंडित नेहरू ने उनके खिलाफ प्रचार किया और हार को प्रतिष्ठा का मुद्दा बनाया। उन्हें भारत रत्न देने से इनकार कर दिया गया। उनकी तस्वीर को संसद के सेंट्रल हॉल में स्थान देने से इनकार कर दिया गया। दुख की बात है कि उनके लिए लोग सच्चाई जानते हैं!'
क्या होता है विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव?
दरअसल, सांसदों को कुछ विशेष अधिकार मिले होते हैं। हालांकि, जब लोकसभा या राज्यसभा सदस्य इसकी अवहेलना करता है तो यह एक अपराध है, जिसे विशेषाधिकार उल्लंघन कहा जाता है। संसदीय कानूनों के तहत ये दंडनीय है। ऐसे में कोई भी सांसद स्पीकर या राज्यसभा सभापति को विशेषाधिकारों के उल्लंघन की शिकायत दर्ज करा सकता है। ये प्रस्ताव तब दिया जाता है, जब कोई सदस्य किसी मामले में गलत तथ्य पेश करता हैं या तथ्य छिपाता है।