
जम्मू-कश्मीर में 'शहीद दिवस' पर तनाव: कब्रिस्तान सील, कई नेता नजरबंद और लॉकडाउन जैसे हालात
क्या है खबर?
जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई को 'शहीद दिवस' पर तनावपूर्ण माहौल है। पुलिस ने श्रीनगर के नौहट्टा इलाके में 'शहीदों' के कब्रिस्तान जाने वाली सभी सड़कों को सील कर दिया। सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) ने दावा किया कि उसके कई नेताओं को नजरबंद कर दिया गया है। श्रीनगर के सभी प्रवेश मार्गों पर भारी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिक बलों को तैनात किया गया है। मामले पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रतिक्रिया दी है।
अनुमति
प्रशासन ने कब्रिस्तान जाने की नहीं दी अनुमति
NC समेत कई राजनीतिक पार्टियों ने आज ख्वाजा बाजार कब्रिस्तान में सामूहिक प्रार्थना करने की अनुमति मांगी थी, जिसे देने से प्रशासन ने इनकार कर दिया है। श्रीनगर जिला प्रशासन ने ख्वाजा बाजार, नौहट्टा जाने वाले सभी आवेदकों को अनुमति देने से इनकार कर दिया है। केवल सरकारी और पुलिस वाहनों को ही अनुमति है। पुलिस ने जनता से निर्देशों का पालन करने का आग्रह किया है और चेतावनी दी कि उल्लंघन पर कड़ी कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
बयान
उमर अब्दुल्ला बोले- ये घोर अलोकतांत्रिक कदम
मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने लिखा, 'एक घोर अलोकतांत्रिक कदम के तहत घरों को बंद कर दिया गया है, पुलिस को जेलर के रूप में तैनात किया गया है। यह सब लोगों को ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कब्रिस्तान में जाने से रोकने के लिए किया गया है, जिसमें उन लोगों की कब्रें हैं, जिन्होंने कश्मीरियों को आवाज देने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी। मैं समझ नहीं पाऊंगा कि सरकार किस बात से इतना डरती है।'
महबूबा मुफ्ती
महबूबा मुफ्ती बोलीं- हम दमनकारी समय में वापस जा रहे
महबूबा मुफ्ती ने कहा, 'जब आप शहीदों के कब्रिस्तान की घेराबंदी करते हैं, लोगों को मजार-ए-शुहादा जाने से रोकने के लिए उन्हें घरों में बंद कर देते हैं, तो यह बहुत कुछ कहता है। 13 जुलाई हमारे उन शहीदों को याद करता है, जो देश के अनगिनत लोगों की तरह अत्याचार के खिलाफ खड़े हुए। वे हमेशा हमारे नायक रहेंगे। लगता है कि हम उसी दमनकारी समय में वापस जा रहे हैं जिसके खिलाफ हमारे शहीदों ने लड़ाई लड़ी थी।'
अवकाश
13 जुलाई को क्यों मनाया जाता है शहीद दिवस?
कश्मीर में तत्कालीन डोगरा शासन के खिलाफ आवाज उठाने पर 13 जुलाई, 1931 को श्रीनगर केंद्रीय जेल के सामने 21 कश्मीरियों को मार दिया गया था। इन सभी को नौहट्टा के कब्रिस्तान में दफनाया गया है। हर साल इस दिन को स्थानीय लोग 'शहीद दिवस' के तौर पर मनाते हैं। पहले 13 जुलाई को राज्य में सार्वजनिक अवकाश होता था, जिसे 2019 में अनुच्छेद 370 हटाने के बाद निरस्त कर दिया गया।