तेलंगाना: कांग्रेस को सता रहा विधायकों के टूटने का डर, 'संकटमोचक' डीके शिवकुमार को हैदराबाद भेजा
तेलंगाना समेत 4 राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है। इस बीच कांग्रेस नेता और कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार 10 मंत्रियों के साथ तेलंगाना के हैदराबाद पहुंचे हैं। उन्हें कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के नेताओं को एकजुट रखने का काम सौंपा है। राज्य में कांग्रेस स्पष्ट बहुमत की तरफ बढ़ती हुई नजर आ रही है, हालांकि पार्टी को नवनिर्वाचित विधायकों के टूटने का डर सता रहा है।
हर प्रत्याशी के साथ तैनात किया गया 1-1 व्यक्ति
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, तेलंगाना में वोटों की गिनती शुरू होने के बाद प्रत्येक प्रत्याशी को सुरक्षित रखने के लिए उनके साथ एक-एक आदमी को तैनात किया गया है। प्रत्याशियों की घेराबंदी करने पहुंचे शिवकुमार ने कथित तौर पर कहा है कि उन्हें अपने उम्मीदवारों और तेलंगाना में कांग्रेस की जीत का पूरा भरोसा है। उन्होंने कहा कि पार्टी से जीतने वाले विधायकों को तोड़ना असंभव है।
शिवकुमार बोले- किसी को कहीं ले जाने की जरूरत नहीं
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, शिवकुमार ने नतीजों की घोषणा से पहले तेलंगाना के कांग्रेस प्रत्याशियों को कर्नाटक के रिजॉर्ट्स और होटलों में सुरक्षित रखने की खबरों का खंडन किया है। उन्होंने कहा, "उन्हें (विधायकों को) कहीं ले जाने की कोई जरूरत नहीं है।" बता दें कि इससे पहले 2017 के गुजरात चुनाव के दौरान उन्हें कांग्रेस अलाकमान ने 'अवैध खरीद-फरोख्त' को रोकने के लिए नवनिर्वाचित विधायकों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी सौंपी थी।
चारों राज्यों में कांग्रेस ने पर्यवक्षेकों की नियुक्ति की
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शनिवार को 4 राज्यों में चुनाव नतीजे घोषित होने से पहले अपने विधायक दल की बैठकों के समन्वय के लिए पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की है। पार्टी ने तेलंगाना में शिवकुमार, राजस्थान में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, छत्तीसगढ़ में अजय माकन और मध्य प्रदेश में अंधीर रंजन चौधरी को पर्यवेक्षक बनाया है। इन चारों राज्यों में पर्यक्षवकों के साथ अन्य वरिष्ठ नेताओं को भी भेजा गया है।
नतीजों में तेलंगाना में कांग्रेस बहुमत की ओर
शुरुआती रुझानों की बात करें तो कांग्रेस तेलंगाना की 61 सीटों पर आगे चल रही है, जो बहुमत के 60 के आंकड़े से अधिक है। सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति (BRS) 36 सीटों पर आगे चल रही है और 10 साल बाद सत्ता से बाहर होने की कगार पर है। भाजपा भी पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले अच्छा प्रदर्शन करती हुई नजर आ रही है और 11 सीटों पर आगे चल रही है। 8 सीटों पर अन्य आगे हैं।