#NewsBytesExplainer: क्या है नौकरशाहों और सैनिकों के राजनीतिकरण का मामला, जिसे लेकर कांग्रेस ने जताई आपत्ति?
कांग्रेस ने केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा सरकार से नौकरशाहों और भारतीय सेना को राजनीति से दूर रखने की अपील है। रविवार को मामले को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने नौकरशाहों और सैनिकों के राजनीतिकरण को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है। कांग्रेस ने केंद्र की संकल्प यात्रा में सिविल सेवकों को रथ प्रभारी बनाए जाने और सैनिकों को योजनाओं के प्रचार के आदेश पर आपत्ति जताई है। आइए जानते हैं कि ये पूरा मामला क्या है।
क्या है मामला?
केंद्र सरकार अपनी 9 सालों की उपलब्धियों को लेकर जल्द देश में 'विकसित भारत संकल्प यात्रा' निकालने जा रही है। ये यात्रा देश की करीब 2.7 लाख ग्राम पंचायतों से होकर गुजरेगी। केंद्र ने इस यात्रा को सफल बनाने के लिए संयुक्त सचिव, निदेशक और उप सचिव स्तर के अधिकारियों को 'रथ प्रभारी' बनाए जाने को लेकर एक आदेश जारी किया है। मामले में कांग्रेस ने केंद्र के इसी आदेश पर अपना विरोध जताया है।
केंद्र सरकार कब देश में निकालेगी यात्रा?
केंद्र सरकार के आदेशानुसार, ये विकसित भारत संकल्प यात्रा 20 नवंबर से शुरू होकर और अगले साल 25 जनवरी तक चलेगी। इस दौरान सभी 765 जिलों में सिविल सेवा के अधिकारियों को रथ प्रभारी के तौर पर नियुक्त किया जाएगा। मामले में एक पत्र भारत सरकार के सचिव जेएस मलिक ने मुख्य आयकर आयुक्त को लिखा है। इसमें कहा गया है कि दिल्ली क्षेत्र के 15 अधिकारियों को रथ प्रभारी बनाने के लिए चिन्हित किया जाए।
क्या है केंद्र सरकार की यात्रा का मकसद?
केंद्र सरकार ने अगले 6 महीने में सभी लोगों तक सरकारी योजनाओं को लाभ पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए ही विकसित भारत संकल्प यात्रा निकाली जा रही है। इस यात्रा के दौरान लोगों को केंद्र द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY), राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन, प्रधानमंत्री किसान योजना, उज्ज्वला योजना, आयुष्मान भारत, प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना जैसी तमाम केंद्रीय जनकल्याणकारी योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी जाएगी।
विपक्ष को आदेश से क्या है आपत्ति?
कांग्रेस का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा किसी राजनीतिक आयोजन में सिविल सेवकों को भाग लेने का आदेश कैसे दिया जा सकता है। कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा कि ये केंद्रीय सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का उल्लंघन है, जिसके तहत कोई भी सरकारी कर्मचारी किसी भी राजनीतिक गतिविधि में भाग नहीं ले सकता। उनका कहना है कि सरकार के राजनीतिक प्रोपेगैंडा के लिए सिविल सेवकों को शामिल नहीं किया जाना चाहिए।
केंद्र पर सैनिकों के राजनीतिकरण के क्या हैं आरोप?
कांग्रेस ने अपने पत्र में केंद्र सरकार पर सैनिकों के राजनीतिकरण का आरोप भी लगाया है। खड़गे ने अपने पत्र में 9 अक्टूबर को रक्षा मंत्रालय के उस आदेश का जिक्र किया है, जिसमें छुट्टी पर जा रहे सैनिकों को सरकारी योजनाओं का प्रचार-प्रसार करने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र और संविधान की रक्षा के मद्देनजर इन सभी आदेशों को तुरंत वापस लिया जाना चाहिए, जो नौकरशाही और सेना के राजनीतिकरण को बढ़ावा देंगे।
केंद्र पर अन्य विपक्षी पार्टियों के क्या हैं आरोप?
अगले साल देश में लोकसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले नौकरशाहों और सैनिकों को केंद्र सरकार की योजनाओं के प्रचार में लगाया जा रहा है। कई विपक्षी पार्टियों ने ये भी आपत्ति जताई है कि लोकसभा चुनाव से पहले सरकार इन्हें अपने पक्ष में माहौल बनाने के लिए इस्तेमाल कर रही है। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा के राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के मुकाबले के लिए कांग्रेस समेत 26 प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने INDIA गठबंधन बनाया है।
न्यूजबाइट्स प्लस
लोकसभा चुनाव के पहले देश के 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, मिजोरम में एक चरण, जबकि छत्तीसगढ़ में 2 चरण में चुनाव होंगे। 7 नवंबर में मिजोरम चुनाव होगा और इसी दिन छत्तीसगढ़ में पहले चरण का चुनाव होगा। 17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में दूसरे चरण का चुनाव होगा। राजस्थान में 23 नवंबर और तेलंगाना में 30 नवंबर को चुनाव होंगे, जबकि सभी राज्यों के चुनाव नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे।