
शिवसेना को नहीं मिला सरकार बनाने के लिए अतिरिक्त समय, राष्ट्रपति शासन की ओर महाराष्ट्र
क्या है खबर?
आज पूरे दिन की राजनीतिक गतिविधियों के बाद महाराष्ट्र में सरकार गठन को लेकर संकट और गहरा गया है और राज्य राष्ट्रपति शासन की ओर बढ़ रहा है।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने शिवसेना को सरकार गठन के लिए अतिरिक्त समय देने से इनकार कर दिया है।
कांग्रेस से समर्थन पत्र नही मिलने के बाद शिवसेना ने राज्यपाल से सरकार से अतिरिक्त समय की मांग की थी।
अब राज्यपाल राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश कर सकते हैं।
पृष्ठभूमि
रविवार को शिवसेना को मिला था सरकार बनाने का न्योता
दरअसल, भाजपा के सरकार बनाने से इनकार करने के बाद महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने रविवार को दूसरी सबसे बड़ी पार्टी शिवसेना को सरकार बनाने का न्योता दिया था।
शिवसेना को इसके लिए 24 घंटे का समय दिया गया था।
आज पूरे दिन इसे लेकर हलचल चलती रही और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) शिवसेना को समर्थन देने को लेकर तैयार नजर आई।
लेकिन कांग्रेस इसे लेकर दुविधा में रही।
कांग्रेस बयान
कांग्रेस ने जताई NCP के साथ और बातचीत की जरूरत
शिवसेना को समर्थन को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (CWC) के सदस्यों के साथ बैठक भी की।
इसके अलावा उन्होंने महाराष्ट्र के नेताओं और जयपुर के होटल में रह रहे विधायकों से भी फोन पर बातचीत की।
इस बैठक से पहले खुद शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने भी सोनिया को फोन किया।
लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस अंतिम फैसला नहीं ले सकी और अपने सहयोगी NCP के साथ और बातचीत की जरूरत बताई।
जानकारी
कांग्रेस की दुविधा ने बढ़ाई शिवसेना की दिक्कतें
कांग्रेस की इस दुविधा के कारण कांग्रेस-NCP गठबंधन शिवसेना को समर्थन पत्र नहीं दे पाया, जिसके बाद आदित्य ठाकरे के नेतृत्व में शिवसेना नेता राज्यपाल से मिले और सरकार गठन के लिए अतिरिक्त समय की मांग की। राज्यपाल ने और समय देने से इनकार दिया।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
आदित्य बोले, राज्यपाल ने अतिरिक्त समय देने से किया इनकार
राज्यपाल से मुलाकात के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए आदित्य ने कहा, "दोनों पार्टी (कांग्रेस-NCP) हमसे बात कर रही हैं, उनके विधायक हमसे बात कर रहे हैं... हमने सरकार बनाने की अपनी इच्छा जताई और प्रक्रिया पूरी करने के लिए 48 घंटे का अतिरिक्त समय मांगा। लेकिन हमें समय नहीं दिया गया।"
उन्होंने आगे कहा, "सरकार बनाने के दावे को खारिज नहीं किया गया, लेकिन समय नहीं दिया गया। हम सरकार बनाने के लिए प्रयास करते रहेंगे।"
आगे क्या?
अब आगे क्या?
अब गेंद पूरी तरह से राज्यपाल के पाले में हैं।
एक रास्ता ये है कि वो कांग्रेस-NCP गठबंधन को सरकार बनाने के लिए न्योता दें।
दूसरा रास्ता ये है कि वो राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की सिफारिश करें, जिसकी संभावना ज्यादा है।
अगर राज्य राष्ट्रपति शासन लगता भी है तो भी शिवसेना के पास कांग्रेस और NCP से समर्थन पत्र हासिल करके सरकार बनाने का दावा करने का मौका होगा।
जानकारी
क्या शिवसेना पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं कांग्रेस-NCP?
आज के पूरे प्रकरण को कांग्रेस-NCP के शिवसेना पर दबाव बनाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है ताकि उससे महत्वपूर्ण और ज्यादा मंत्रिमंडल हासिल किए जा सकें। सच क्या है, उम्मीद है ये जल्दी ही सामने आ जाएगा।
पृष्ठभूमि
क्यों पैदा हुआ है महाराष्ट्र में ये संकट?
महाराष्ट्र में ये संकट इसलिए पैदा हुआ है क्योंकि विधानसभा चुनाव में किसी एक पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला और जिस भाजपा-शिवसेना गठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला उसमें सत्ता के बंटवारे को लेकर समझौता नहीं हुआ।
शिवसेना ने 50-50 फॉर्मूले के तहत सत्ता में बराबर हिस्सेदारी और ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद मांगा, जिसके लिए भाजपा तैयार नहीं हुई।
विधानसभा में भाजपा के 105, शिवसेना के 56, NCP के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं।