महाराष्ट्र: देश के सबसे कम उम्र के स्पीकर राहुल नार्वेकर के बारे में कुछ दिलचस्प बातें
क्या है खबर?
महाराष्ट्र विधानसभा में रविवार को स्पीकर के पद के लिए वोटिंग हुई और इसमें भाजपा के उम्मीदवार राहुल नार्वेकर ने बाजी मारी। नार्वेकर ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट के उम्मीदवार राजन सालवी को मात दी।
नार्वेकर के समर्थन में 164 वोट पड़े, जबकि जीत के लिए उन्हें केवल 144 वोटों की जरुरत थी। उनके प्रतिद्वंदी राजन सालवी को 107 विधायकों ने वोट दिया।
आइए राहुल नार्वेकर के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य जानते हैं।
पार्षद
BMC के पार्षद रह चुके हैं नार्वेकर के पिता, भाई और भाभी भी पार्षद
45 साल के राहुल नार्वेकर पेशे से वकील हैं और उनके पिता सुरेश नार्वेकर बृहन्मुंबई नगर निगम (BMC) में पार्षद रह चुके हैं।
नार्वेकर के भाई मकरंद BMC के वॉर्ड नंबर 227 से दूसरी बार पार्षद बने हैं, वहीं भाभी हर्षता भी BMC के वॉर्ड नंबर 226 से पार्षद हैं।
देवेंद्र फडणवीस के अनुसार, राहुल नार्वेकर न केवल महाराष्ट्र बल्कि पूरे देश में विधानसभा के सबसे कम उम्र के स्पीकर (अध्यक्ष) हैं।
राजनीतिक सफर
भाजपा से पहले शिवसेना और NCP में रह चुके हैं नार्वेकर
नार्वेकर अभी मुंबई के कोलाबा निर्वाचन क्षेत्र से विधायक हैं। वह पूर्व में शिवसेना और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) से जुड़े रहे हैं।
2014 में शिवसेना छोड़ने से पहले नार्वेकर शिवसेना की यूथ विंग के प्रवक्ता थे।
शिवसेना छोड़ने के बाद नार्वेकर NCP में चले गए। उन्होंने 2014 में NCP की टिकट पर मावल सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
रामराजे निंबालकर
नार्वेकर के ससुर हैं विधान परिषद के अध्यक्ष
राहुल नार्वेकर NCP के वरिष्ठ नेता रामराजे निंबालकर के दामाद हैं। निंबालकर इस वक्त महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष हैं और उन्हें NCP प्रमुख शरद पवार का खास बताया जाता है।
इसका मतलब ससुर विधान परिषद के स्पीकर हैं और दामाद विधानसभा का स्पीकर है।
निंबालकर 2015 में विधान परिषद के अध्यक्ष चुने गए थे। 2016 में वह दोबारा इस पद पर निर्वाचित हुए।
1999 से 2010 तक वह महाराष्ट्र सरकार में अलग-अलग मंत्रालयों के मंत्री भी रह चुके हैं।
स्पीकर पद
फरवरी, 2021 से खाली था स्पीकर का पद
बता दें कांग्रेस नेता नाना पटोले के इस्तीफे के बाद फरवरी, 2021 से ही महाराष्ट्र विधानसभा के स्पीकर का पद खाली था।
लंबे राजनीतिक ड्रामे के बाद 29 जून को उद्धव ठाकरे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया और बागी विधायक एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली।
रविवार को स्पीकर चुनाव के बाद आज विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ जिसमें शिंदे ने अपना बहुमत साबित कर दिया।