महाराष्ट्र: शिवसेना की बागियों से लौटने की अपील, कांग्रेस-NCP से गठबंधन तोड़ने पर विचार को तैयार

महाराष्ट्र में गहराते सियासी संकट के बीच शिवसेना नेता संजय राउत ने अहम बयान दिया है। उन्होंने बागियों से 24 घंटों में लौटने की अपील करते हुए कहा कि अगर विधायक वापस आते हैं तो उनकी पार्टी कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के साथ गठबंधन तोड़ने की मांग पर विचार करने को तैयार है। उनका यह बयान ऐसे समय में आया है, जब बागी नेता एकनाथ शिंदे ने 40 से अधिक विधायकों का समर्थन जुटा लिया है।
शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा, "हम महाविकास अघाड़ी सरकार से बाहर निकलने को तैयार हैं, लेकिन पार्टी के बागियों को 24 घंटों के भीतर मुंबई लौटना होगा।" उन्होंने कहा, "अगर आप कह रहे हैं कि आप शिवसेना नहीं छोड़ रहे और अगर आपको सरकार से कुछ परेशानी है तो हम इससे बाहर आने को तैयार हैं, लेकिन पहले आपको वापस आकर अपनी मांगें उद्धव ठाकरे के सामने रखने का साहस करना होगा।"
गौरतलब है कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना का बागी खेमा फिलहाल गुवाहाटी में डेरा डाले हुए है। इस खेमे की मांग है कि शिवसेना को इस गठबंधन से बाहर आना चाहिए क्योंकि गठबंधन के कारण सबसे ज्यादा नुकसान शिवसैनिकों को हुआ है। शिंदे के खेमे के एक विधायक दीपक केसाकर ने कहा कि वो उद्धव ठाकरे का इस्तीफा नहीं चाहते हैं बल्कि उनकी मांग है कि शिवसेना भाजपा से गठबंधन कर दोबारा सरकार का गठन करे।
गुवाहाटी में बैठे एकनाथ शिंदे ने 49 विधायकों के समर्थन का दावा किया है। शिंदे की तरफ से जारी तस्वीर में उनके साथ शिवसेना के 42 और सात निर्दलीय विधायक नजर आ रहे हैं, जबकि ठाकरे सरकार गिराने के लिए उन्हें केवल 37 विधायकों का साथ चाहिए। दूसरी तरफ उद्धव ठाकरे की बैठक में केवल 13 विधायकों के पहुंचने की खबर आ रही है। इसी बीच खबर है कि भाजपा ने शिंदे को सरकार गठन के लिए ऑफर भेजा है।
महाविकास अघाड़ी सरकार में साझेदार कांग्रेस और NCP ने बड़े सियासी संकट से बचने के लिए शिवसेना को शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का सुझाव दिया है। इस सुझाव को गठबंधन में फूट पड़ने की आशंका को रोकने की कोशिश माना जा रहा है।
गुरुवार को एकनाथ शिंदे ने अपने खेमे के एक विधायक संजय शिरसाट के लिखे पत्र को शेयर किया था। इसमें लिखा गया है कि पिछले ढाई साल से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के आधिकारिक आवास 'वर्षा' के दरवाजे शिवसेना विधायकों के लिए बंद थे। प्रवेश पाने के लिए मुख्यमंत्री के आसपास रहने वाले लोगों की मनुहार करनी पड़ती थी। इसमें अगला आरोप लगाया है कि उद्धव ठाकरे कभी भी अपने विधायकों से नहीं मिलते थे।
इस पत्र में आगे आरोप लगाया गया है कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस शिवसेना विधायकों के साथ अपमान कर रही थी। विधानसभा क्षेत्रों की खराब हालात, विधायक निधी और अधिकारियों की तरफ से हो रहे अपमान समेत विधायकों की सभी शिकायतें एकनाथ शिंदे ही सुन रहे थे और उनका समाधान कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कभी विधायकों को सुनने की जहमत नहीं उठाई। इसलिए सभी विधायक न्याय अधिकार के लिए शिंदे के पीछे होने को मजबूर हुए हैं।