हेमंत बिस्वा सरमा: कांग्रेस के कद्दावर नेता से पूर्वोत्तर में 'भाजपा के चाणक्य' तक का सफर
क्या है खबर?
गुरुवार को पूर्वोत्तर के 3 राज्यों के चुनावी परिणाम आए और तब से एक नाम बहुत चर्चा में है- हेमंत बिस्वा सरमा। असम के मुख्यमंत्री और पूर्वोत्तर में 'भाजपा के चाणक्य' कहे जाने वाले सरमा ने मेघालय, त्रिपुरा और नागालैंड में भाजपा की सत्ता में वापसी में अहम भूमिका अदा की।
हेमंत पिछले 2 साल से भाजपा के उत्तर-पूर्व लोकतांत्रिक गठबंधन (NEDA) का कामकाज संभाल रहे हैं। उनके सियासी सफर और पूर्वोत्तर में उनकी अहमियत पर नजर डालते हैं।
पहला चुनाव
2001 में पहली बार पहुंचे थे विधानसभा
1 फरवरी, 1969 को असम के जोरहाट में जन्मे सरमा ने गुवाहाटी लॉ कॉलेज से पढ़ाई की है। वे कुछ साल गुवाहाटी हाई कोर्ट में प्रैक्टिस भी कर चुके हैं। 2001 में उन्होंने असम की जलुकबारी सीट से कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ा और असम गण परिषद के भृगु फुक्न को हराकर पहली बार विधानसभा पहुंचे।
2006 और 2011 में भी इसी सीट से विधायक चुने गए और तरुण गोगोई की कैबिनेट में अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली।
कांग्रेस
कभी कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे, अब उसी के लिए परेशानी
सरमा कांग्रेस के टिकट पर 3 बार विधायक चुने गए, लेकिन 2014 में असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के साथ मतभेदों के चलते उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।
अगस्त, 2015 में वे भाजपा में शामिल हो गए और पार्टी के टिकट पर चौथी बार विधायक चुने गए। 10 मई, 2021 को वे असम के मुख्यमंत्री बने।
पार्टी ने उन्हें NEDA का संयोजक बनाकर अहम जिम्मेदारी दी, जिसे वह बखूबी निभा रहे हैं।
गठबंधन
पूर्वोत्तर के 'गठबंधन विशेषज्ञ'
2 मार्च को आए विधानसभा चुनावों में मेघालय में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। ऐसे में सरकार बनाने की जिम्मेदारी सरमा ने संभाली। एग्जिट पोल्स में भी मेघालय में त्रिशंकु विधानसभा के आसार जताए गए थे।
इसे भांपकर सरमा ने नतीजों से पहले ही नेशनल पीपल्स पार्टी (NPP) के कॉनराड संगमा संग बैठक कर सरकार में भागीदारी सुनिश्चित कर ली थी।
NPP और भाजपा पिछली सरकार में भी साथ थे, लेकिन चुनाव से पहले गठबंधन टूट गया था।
मीटिंग
हर राज्य की चुनावी रणनीति के लिए 20 बैठकें कीं
वरिष्ठ भाजपा नेताओं का कहना है कि सरमा पिछले कुछ महीनों से तीनों राज्यों की चुनावी रणनीति बनाने में जुटे थे। उन्होंने हर राज्य में भाजपा की जीत सुनिश्चित करने लिए करीब 20-20 बैठकें कीं, जिनमें से कई रात के 2 बजे तक चलती थीं।
कहा जाता है कि इन राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों के नेताओं के बीच भी सरमा की अच्छी पकड़ है। इनमें NPP, नेशनल डेमोक्रेमिट प्रोग्रेसिव पार्टी (NDPP) और टिपरा मोथा पार्टी (TMP) जैसी पार्टियां शामिल हैं।
मणिपुर
मणिपुर में कम सीटों के बावजूद बनवाई भाजपा की सरकार
2017 में मणिपुर विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को सबसे ज्यादा 28 सीटें मिली थीं, वहीं भाजपा ने 21 सीटों पर जीत दर्ज की थी और किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला।
इसके बाद एंट्री हुई सरमा की। उन्होंने NPP, नागा पीपल्स फ्रंट (NPF) और लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) को साथ लेकर राज्य में भाजपा की सरकार बनाई। ये पहली बार हुआ था जब मणिपुर में भाजपा की सरकार बनी। सबसे ज्यादा सीट लाकर भी कांग्रेस सत्ता से दूर रही।
स्टार प्रचारक
पूर्वोत्तर से भाजपा के इकलौते स्टार प्रचारक
पार्टी के लिए सरमा की अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वे पूर्वोत्तर से भाजपा के इकलौते स्टार प्रचारक हैं। गुजरात और दिल्ली विधानसभा चुनावों में वो पार्टी के लिए प्रचार कर चुके हैं।
समान नागरिक संहिता, PFI पर प्रतिबंध, मवेशी संरक्षण अधिनियम और अल्पसंख्यक जनसंख्या वृद्धि को नियंत्रित करने के नीतिगत उपाय जैसे भाजपा के एजेंडे से जुड़े सभी मुद्दों पर सरमा खुलकर अपनी राय रखते हैं।
नतीजे
न्यूजबाइट्स प्लस
त्रिपुरा में भाजपा-IPFT गठबंधन ने 60 सीटों में से 33 सीटें, वाम-कांग्रेस के गठबंधन ने 14 सीटें और टिपरा मोथा पार्टी ने 13 सीटें जीती हैं।
नागालैंड में भाजपा-NDDP गठबंधन ने 59 में से 37 सीटों पर जीत दर्ज की है, वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी NPF ने 2 सीटें जीती हैं।
मेघालय में NPP ने 59 सीटों में से 26 सीटें जीती हैं, जबकि कांग्रेस और TMC ने 5-5 सीटें और भाजपा ने 2 सीटें हासिल की हैं।