क्या है बॉलीवुड फिल्मों के बहिष्कार का मुद्दा और प्रधानमंत्री को क्यों करनी पड़ी अपील?
बॉलीवुड फिल्मों के बहिष्कार का ट्रेंड कुछ सालों में तेजी से बढ़ा है और पूरी इंडस्ट्री इसकी चपेट में आ गई है। ताजा मामला शाहरुख खान की फिल्म 'पठान' से जुड़ा है, जिसे लेकर काफी बवाल मचा हुआ है और कई भाजपा नेताओं ने इस फिल्म को बैन करने की मांग की है। इसी बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेताओं को फिल्मों को लेकर बेवजह बयान न देने की सलाह दी है। आइए इसके पीछे की वजह जानते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
मंगलवार को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी बैठक के दूसरे दिन अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने फिल्मों के बहिष्कार को लेकर पार्टी नेताओं को एक कड़ा संदेश दिया था। उन्होंने कहा था, "फिल्मों जैसे अप्रासंगिक मुद्दों पर अनावश्यक टिप्पणी करने से बचना चाहिए और इन पर टिप्पणी करने की कोई जरूरत नहीं है। इनसे जितना बचा जाए, उतना ठीक है और इन टिप्पणियों ने पार्टी के विकास के एजेंडे को ठंडे बस्ते में डाल दिया है।"
क्या है फिल्मों के बहिष्कार का मुद्दा?
पिछले कई महीनों से बॉलीवुड फिल्मों के बहिष्कार का एक ट्रेंड चल रहा है। आए दिन कोई न कोई अभिनेता या अभिनेत्री इस ट्रेंड की चपेट में आ जाता है। हाल ही में मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शाहरुख की फिल्म 'पठान' के एक गाने में दीपिका पादुकोण की बिकिनी का भगवा रंग होने पर आपत्ति जताई थी। उनका ये बयान खूब सुर्खियों में रहा था और इसके बाद से ये फिल्म निशाने पर है।
कब से चल रहा है फिल्मों के बहिष्कार का ट्रेंड?
पहले भी एकाध फिल्मों का बहिष्कार होता रहता था, लेकिन तब इसे आमतौर पर फीडबैक के रूप में लिया जाता था। हालांकि, सोशल मीडिया के बढ़ते प्रभाव ने इस ट्रेंड को एक खतरनाक रूप दे दिया। जून, 2020 में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की आत्महत्या के बाद से इस ट्रेंड में खासी तेजी देखी गई है और इसके बाद से किसी न किसी बात को लेकर लगभग हर फिल्म को बहिष्कार की धमकी का सामना करना पड़ता है।
कौन से अभिनेता अधिक निशाने पर रहते हैं?
आमतौर पर ऐसे अभिनेताओं को बहिष्कार के ट्रेंड का सामना करना पड़ता है, जिन्होंने किसी राजनीतिक मुद्दे पर अपनी राय रखी हो। इनमें शाहरुख और आमिर खान विशेष तौर पर शामिल हैं। शाहरुख की पठान से पहले आमिर की फिल्म 'लाल सिंह चड्ढा' और रणबीर कपूर की 'ब्रह्मास्त्र' का भी बहिष्कार किया गया था। सरकार के नजदीक अक्षय कुमार की फिल्म 'रक्षाबंधन' और 'राम सेतु' को भी बहिष्कार के ट्रेंड का सामना करना पड़ा था।
किन कारणों का हवाला देकर किया जाता है फिल्मों का बहिष्कार?
बॉलीवुड फिल्मों पर समय-समय पर धार्मिक आस्था से खिलवाड़ करने का आरोप लगता रहता है और ऐसे ही बहाने बनाकर अधिकांश फिल्मों को निशाना बनाया जाता है। फिल्मों के बहिष्कार के पीछे भारतीय संस्कृति के अपमान का हवाला भी दिया जाता है। अभिनेत्रियों के "अंग प्रदर्शन" और "अश्लील डांस" को लेकर भी कई धार्मिक संगठनों से जुड़े लोग फिल्मों का बहिष्कार करते हैं। विवादित मसलों पर बनी फिल्मों को भी बहिष्कार का सामना करना पड़ता है।
क्या है बहिष्कार के पीछे की राजनीति?
फिल्मों का बहिष्कार कोई स्वतः घटना नहीं है और इसके पीछे राजनीतिक ताकतें होती हैं। उदाहरण के तौर पर, आमिर और शाहरुख की फिल्मों का बहिष्कार तब से बढ़ा है, जब से उन्होंने देश में बढ़ती असहनशीलता को लेकर बयान दिया है। इसी तरह हिंसा के शिकार छात्रों के समर्थन में जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) जाने के बाद दीपिका की फिल्मों का बहिष्कार बढ़ा है। भाजपा सरकार से नजदीकी के कारण अक्षय कुमार को बहिष्कार का सामना करना पड़ा है।
प्रधानमंत्री को क्यों जारी करनी पड़ी अपील?
बॉलीवुड में बहिष्कार के बढ़ते ट्रेंड के खिलाफ आवाजें उठने लगी हैं। अभिनेता सुनील शेट्टी ने तो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने इस मुद्दे को उठा दिया था और कहा था कि अगर वो और प्रधानमंत्री चाहें तो बहिष्कार के इस ट्रेंड को रोका जा सकता है। इस ट्रेंड के कारण भारत और भाजपा सरकार को नकारात्मक प्रचार का सामना भी करना पड़ता है। प्रधानमंत्री की अपील के पीछे इन्हीं कारणों को माना जा रहा है।