हेमंत बिस्वा सरमा होंगे असम के अगले मुख्यमंत्री, कल लेंगे शपथ
भाजपा नेता हेमंत बिस्वा सरमा असम के अगले मुख्यमंत्री होंगे। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने इस फैसले का ऐलान करते हुए कहा कि वह कल मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे। सरमा ने मुख्यमंत्री बनने की रेस में मौजूदा मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल को मात दी है। दोनों को कल ही दिल्ली बुलाया गया था जहां भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने उनके साथ बैठक की थी। सोनोवाल को केंद्र में कोई जिम्मेदारी दी जा सकती है।
विधायक दल ने सरमा को चुना अपना नेता
खबरों के अनुसार, कल भाजपा शीर्ष नेतृत्व के साथ बैठक के बाद ही तय हो गया था कि असम के अगले मुख्यमंत्री सरमा होंगे और इसके बाद महज औपचारिकताएं रह गई थीं। आज पहले सर्वानंद सोनोवाल ने असम के राज्यपाल जगदीश मुखी को अपना इस्तीफा सौंपा। इसके बाद भाजपा के विधायक दल की बैठक हुई जिन्होंने सरमा को अपना नेता सुना। सरमा आज शाम राज्यपाल से मिलकर सरकार बनाने का दावा करेंगे। वे कल शपथ ले सकते हैं।
पिछली बार भी मुख्यमंत्री पद के अहम दावेदार थे बिस्वा सरमा
2016 असम विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल होने वाले बिस्वा सरमा ने इस चुनाव में पार्टी की जीत में अहम भूमिका निभाई थी और पूर्वोत्तर में भाजपा की पहली सरकार बनाने में अहम सूत्रधार रहे थे। उस समय भी उन्हें मुख्यमंत्री पद का अहम दावेदार माना जा रहा था, लेकिन अंत में सोनोवाल ने बाजी मारी। हालांकि पांच साल में परिस्थितियां काफी बदलीं और इस बार बाजी सरमा के हाथ लगी।
कैसा रहा है बिस्वा सरमा का राजनीतिक सफर?
गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से कानून में PhD करने के बाद गुवाहाटी हाई कोर्ट में वकालत करने वाले बिस्वा शर्मा पहली बार 2001 में कांग्रेस की टिकट पर जलुकबाड़ी से विधायक चुने गए थे। इसके बाद वह 2006 और 2011 में भी यहां से कांग्रेस के विधायक चुने गए। 2002 से 2014 तक उन्होंने राज्य की कांग्रेस सरकार में कई जिम्मेदारियां संभाली, लेकिन 2015 में पार्टी छोड़ी भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा सरकार में भी उन्होंने कई अहम मंत्रालय संभाले।
क्या रहे असम विधानसभा चुनाव के नतीजे?
असम में भाजपा और उसके गठबंधन ने बहुमत हासिल कर सत्ता में वापसी की है। चुनाव में भाजपा का गठंबधन 126 में से 75 सीटें जीतने में कामयाब रहा। इनमें से 60 सीटें अकेल भाजपा ने जीतीं। इसके विपरीत कांग्रेस का गठबंधन मात्र 50 सीटें जीत पाया। इनमें से 29 सीटें अकेले कांग्रेस की रहीं। भाजपा गठबंधन का प्रदर्शन 2016 चुनाव से कमजोर रहा जिसमें उसने 86 सीटों पर जीत दर्ज की थी।