रेवंत रेड्डी होंगे तेलंगाना के अगले मुख्यमंत्री, राहुल गांधी बोले- निर्णय हो गया है
रेवंत रेड्डी तेलंगाना के अगले मुख्यमंत्री होंगे और कांग्रेस जल्द इसकी घोषणा कर सकती है। इसकी पुष्टि करते हुए राहुल गांधी ने NDTV से कहा कि तेलंगाना में पार्टी को मिली जीत का श्रेय रेड्डी को जाता है और निर्णय ले लिया गया है। राहुल, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और अन्य वरिष्ठ पार्टी नेताओं के बीच दिल्ली में हुई बैठक में रेड्डी के नाम पर मुहर लगाई गई। आधिकारिक घोषणा से पहले हैदराबाद में कांग्रेस विधायक दल की बैठक होगी।
पर्यवेक्षकों और विधायकों की बैठक से निकला रास्ता
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को हैदराबाद में कांग्रेस के पर्यवेक्षकों ने नवनिर्वाचित विधायकों के साथ एक बैठक की और विधायकों ने बहुमत से रेड्डी को विधायक दल का नेता चुनने के प्रस्ताव पर सहमति जताई। इसके बाद पर्यवेक्षक मंडल का नेतृत्व कर रहे कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को सौंपी, जिन्होंने रेड्डी के नाम पर मुहर लगा दी है।
नई सरकार में बनाए जा सकते हैं 2 उपमुख्यमंत्री
रिपोर्ट के अनुसार, नाराज नेताओं और जातीय संतुलन को साधने के लिए कांग्रेस एक या 2 उपमुख्यमंत्री भी बना सकती है। खबर है कि अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) समुदाय से एक-एक उपमुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। वरिष्ठ विधायक मल्लू भट्टी विक्रमार्क SC समुदाय से आते हैं। वे मुख्यमंत्री पद की रेस में भी थे। उनके अलावा उत्तम कुमार रेड्डी और कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी भी मुख्यमंत्री पद की रेस में शामिल थे।
कौन हैं रेवंत रेड्डी?
तेलंगाना के नए मुख्यमंत्री बनने जा रहे रेवंत रेड्डी ने अपनी राजनीति भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू की थी। इसके बाद वह तेलुगु देशम पार्टी (TDP) में शामिल हो गए। उन्होंने 2014 के चुनाव में कोडांगल से जीत दर्ज की थी। इसके बाद 2017 में वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उन्होंने 2018 में कोडांगल से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए थे। वह तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं।
क्या रहे तेलंगाना चुनाव के नतीजे?
तेलंगाना चुनाव में कांग्रेस ने 119 सीटों में से 64 सीटों पर जीत दर्ज करके बहुमत प्राप्त किया है। पिछले 10 साल से राज्य की सत्ता पर काबिज भारत राष्ट्र समिति (BRS) को करारी हार झेलनी पड़ी है और उसे मात्र 39 सीटें मिली हैं। भाजपा ने अपने प्रदर्शन सुधारते हुए 8 सीटों पर जीत दर्ज की है, जबकि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने 7 और भारतीय कम्युनिट पार्टी (CPI) ने एक सीट पर जीत दर्ज की है।