#NewsBytesExplainer: मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में रिकॉर्ड तोड़ मतदान, नतीजों पर क्या होगा असर?
17 नवंबर को मध्य प्रदेश की सभी 230 सीटों पर एक ही चरण में मतदान हुआ था। अब मतदान के आंकड़ों ने सभी पार्टियों की धड़कनें बढ़ा दी हैं। दरअसल, इस बार मध्य प्रदेश में 77.15 प्रतिशत मतदान हुआ है, जो पिछले 66 साल में सबसे ज्यादा है। पिछले चुनावों में 75.63 प्रतिशत मतदान हुआ था। आइए समझते हैं कि रिकॉर्ड तोड़ मतदान से कैसे नतीजों पर असर पड़ सकता है।
मध्य प्रदेश में क्या हैं मतदान के आंकड़े?
मध्य प्रदेश में कुल पात्र में से 78.21 प्रतिशत पुरुष और 76.03 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है। रतलाम जिले की सैलाना विधानसभा सीट पर सबसे अधिक 90.10 प्रतिशत और अलीराजपुर जिले की जोबट सीट पर सबसे कम 54.37 प्रतिशत मतदान हुआ है। राज्य में कम से कम 8 सीटें ऐसी हैं, जहां पिछली बार की तुलना में इस बार मतदान 5 प्रतिशत ज्यादा हुआ है।
महिलाओं के हाथ सत्ता की चाबी?
मध्य प्रदेश में इस बार महिलाओं ने जमकर मतदान किया है। पिछली बार की तुलना में 18 लाख ज्यादा महिलाओं ने वोट डाले हैं। 2018 में महिला और पुरुष वोट में 1.95 प्रतिशत का अंतर था, जो बढ़कर 2.18 प्रतिशत हो गया है। 35 सीटों पर महिलाओं ने पुरुषों से ज्यादा मतदान किया है। महिलाओं को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने लाड़ली लक्ष्मी योजना शुरू की थी। कांग्रेस ने भी नारी सम्मान योजना शुरू करने का ऐलान किया है।
आदिवासी सीटों पर मतदान बढ़ने के मायने?
राज्य की 47 में से 15 आदिवासी सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ा है। पिछली बार जब आदिवासी सीटों पर मतदान का प्रतिशत बढ़ा था तो कांग्रेस को फायदा हुआ था। 2018 में कांग्रेस ने 47 में से 30, भाजपा ने 16 और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली थी। 2013 में जब इन सीटों पर 72.13 प्रतिशत मतदान हुआ था, तब भाजपा को 31 सीटें मिली थीं। दोनों ही पार्टियां शुरुआत से इन सीटों को साध रही थी।
20 सीटों पर 3 से 5 प्रतिशत ज्यादा मतदान
राज्य की कम से कम 20 सीटों पर मतदान पिछली बार की तुलना में 3 से 5 प्रतिशत तक ज्यादा हुआ है। 2018 के चुनावों में इन सीटों पर मतदान प्रतिशत बढ़ने से 15 सीटों पर निर्वतमान विधायक को हार मिली थी। संभावना है कि इस बार भी इन सीटों पर फेरबदल हो सकता है। इन सीटों पर जयंत मलैया, नरोत्तम मिश्रा, बाला बच्चन और तुलसीराम सिलावट जैसे बड़े नाम मैदान में हैं।
सपा और बसपा उम्मीदवारों ने दी कड़ी टक्कर
दिमनी, सिरमौर, सुमावली और सतना समेत 13 सीटों पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के उम्मीदवारों ने कांग्रेस और भाजपा को कड़ी टक्कर दी है। पिछले चुनाव में बसपा को 2 सीटों पर जीत मिली थी। इस बार अखिलेश यादव काफी सक्रिय दिखे हैं। इसी तरह करीब 6 सीटों पर समाजवादी पार्टी (सपा) प्रत्याशी मजबूत स्थिति में थे। इन सीटों पर मायावती के भतीजे आकाश आनंद ने मेहनत की है। सपा और बसपा के उम्मीदवार कांग्रेस-भाजपा का गणित बिगाड़ सकते हैं।
मतदान प्रतिशत बढ़ने पर इन राज्यों में क्या हुआ था?
इसी साल कर्नाटक में हुए चुनावों में 73.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। ये 2018 के मुकाबले एक प्रतिशत ज्यादा था। इस वजह से कांग्रेस को फायदा हुआ और उसने सरकार बनाई। पिछले चुनावों में कांग्रेस को 90 सीट मिली थीं, जो बढ़कर 135 पर पहुंच गई। इसके उलट 2022 में गुजरात में मतदान प्रतिशत में कमी आई तो सत्ताधारी भाजपा को फायदा हुआ। गुजरात में 2017 के चुनावों के मुकाबले करीब 4 प्रतिशत कम वोटिंग हुई थी।