राजस्थान में कांग्रेस की घोषणा- सत्ता में लौटे तो कराएंगे जातिगत जनगणना
राजस्थान में विधानसभा चुनाव के लिए मतदान होने में अधिक दिन नहीं हैं। इस बीच सत्तारूढ़ पार्टी कांग्रेस ने घोषणा की है कि यदि वो सत्ता में वापसी करती है तो राज्य में जातिगत जनगणना करवाएगी। आज मंगलवार को अपना घोषणापत्र जारी करते हुए कांग्रेस ने ये ऐलान किया। घोषणापत्र में पार्टी ने किसानों को बिना ब्याज 2 लाख का ऋण देने और परिवार की महिला मुखिया को प्रति वर्ष 10,000 रुपये देने का वादा भी किया।
कांग्रेस के क्या-क्या घोषणाएं कीं?
राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा जारी किए गए घोषणापत्र में कांग्रेस ने कई अहम घोषणाएं कीं। इसमें युवाओं के लिए 10 लाख रोजगार सृजित करने, 4 लाख सरकारी नौकरियां देने, पेपर लीक से निपटने के लिए कानून लाने, महिलाओं की सुरक्षा के लिए सार्वजनिक स्थानों पर CCTV कैमरे लगाने, निसंतान दंपति हेतु IVF नेशनल पैकेज चिरंजीवी योजना में शामिल करने और ऑटो और टैक्सी ड्राइवर को गिग वर्कर्स अधिनियम में शामिल करने जैसी घोषणाएं शामिल हैं।
कांग्रेस ने 400 रुपये में गैस सिलेंडर समेत ये घोषणाएं भी कीं
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में महिलाओं के हित को ध्यान में रखते हुए 500 रुपये की जगह गैस सिलेंडर को अब 400 रूपये में देने का वादा भी किया। इसके अलावा छोटे व्यापारियों और दुकानदारों को 5 लाख रुपये तक का ब्याज मुक्त ऋण उपलब्ध करवाने के लिए व्यापारी क्रेडिट कार्ड योजना शुरू होगी। पहले से चल रही योजनाओं को और मजबूत करने और हर गांव और शहरी वार्ड में सुरक्षाकर्मी लगाने की घोषणा भी की गई।
कांग्रेस अन्य राज्यों में भी कर चुकी है जातिगत जनगणना कराने का वादा
बता दें कि कांग्रेस और खासकर राहुल गांधी जातिगत जनगणना का मुद्दा जोर-शोर से उठा रहे हैं। छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में भी पार्टी सत्ता में आने पर जातिगत जनगणना कराने का वादा कर चुकी है। राहुल तो ये भी कह चुके हैं कि अगर 2024 लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनती है तो वो पूरे देश में जातिगत जनगणना कराई जाएगी। इसे एक बड़े दांव के तौर पर देखा जा रहा है।
कांग्रेस हर मंच से जातिगणना जनगणना का वादा क्यों कर रही है?
जातिगत जनगणना से सभी जातियों की आबादी का सटीक आंकड़ा पता चल सकेगा, जिनमें अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की संख्या अधिक हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि देश के अधिकतर राज्यों में सत्ता की चाबी OBC के पास है और उन्हें लुभाने के लिए ही कांग्रेस जातिगत जनगणना का वादा कर रही है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत में OBC ने अहम भूमिका निभाई थी। ।
न्यूजबाइट्स प्लस
देश में पहली बार 1881 में और आखिरी बार 1931 में जातिगत जनगणना हुई थी। 1941 में जाति के आधार पर डाटा जुटाए गए, लेकिन उन्हें जारी नहीं किया गया। 1931 के आंकड़ों के अनुसार, देश में OBC की जनसंख्या 52 प्रतिशत होनी चाहिए। हालांकि, कुछ सर्वे में ये 40-41 प्रतिशत भी बताई गई है। इसी अनिश्चितता के कारण ही जातिगत जनगणना कर भारत की आबादी में OBC की वास्तविक संख्या का पता लगाने की मांग की जाती है।