नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा क्यों दिया?
क्या है खबर?
नवजोत सिंह सिद्धू ने पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष पद की कमान संभालने के पांच सप्ताह से भी कम समय बाद मंगलवार को इस्तीफा दे दिया।
चौंकाने वाली बात यह है कि हाल में कांग्रेस आलाकमान ने उनके कैप्टन अमरिंदर सिंह से चल रहे विवाद में उन्हें तरहीज देते हुए सिंह से मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ले लिया था। इसके बाद भी उनका अचानक इस्तीफा देना चर्चा का विषय बन गया है।
आइए जानते हैं उनके इस्तीफे के प्रमुख संभावित कारण।
इस्तीफा
सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजा इस्तीफा
सिद्धू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को भेजे अपने इस्तीफे में लिखा है, 'किसी के चरित्र के पतन की शुरुआत समझौते से ही होती है। मैं पंजाब के भविष्य और पंजाब के कल्याण के एजेंडे से कभी समझौता नहीं कर सकता। इसलिए, मैं पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देता हूं। कांग्रेस की सेवा करता रहूंगा।'
बता दें कि अमरिंदर सिंह ने सिद्धू की तीखी तकरार के बाद गत 18 सितंबर को इस्तीफा दे दिया था।
#1
सुखजिंदर सिंह रंधावा के उपमुख्यमंत्री बनने से असुरक्षा की भावना पनपना
हिंदुस्तान टाइम्स के अनुसार, कांग्रेस आलाकमान ने सिद्धू की पंजाब के पहले दलित मुख्यमंत्री के रूप में चरणजीत सिंह चन्नी की पसंद का समर्थन करते हुए एक प्रमुख जाट सिख चेहरे सुखजिंदर सिंह रंधावा की उपमुख्यमंत्री के रूप में नियुक्ति के विरोध को समाप्त कर दिया।
हालांकि, इससे सिद्धू के मन में एक असुरक्षा की भावना पैदा हो गई थी। उनको लगने लगा था कि 2022 विधानसभा चुनाव के बाद उनके मुख्यमंत्री बनने में यह सबसे बड़ा रोडा होगा।
#2
अपने करीबियों को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिलने से भी नाराज थे सिद्धू
सूत्रों की माने तो सिद्धू गत रविवार को हुए मंत्रिमंडल के विस्तार से भी नाराज थे। मंत्रिमंडल के विस्तार में चयनित नामों पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मुहर लगाई थी, लेकिन इसमें सिद्धू के बेहद करीबी माने जाने वाले विधायक कुलजीत सिंह नागरा और सुरजीत सिंह धीमान का नाम नहीं था।
उन्होंने इन दोनों को मंत्रिमंडल में शामिल करने के लिए राहुल गांधी से भी बात की थी, लेकिन उन्होंने सिद्धू की बात को तरहीज नहीं दी।
#3
राणा गुरजीत सिंह की कैबिनेट में वापसी भी है बड़ा कारण
माना जाता है कि छह कांग्रेस विधायकों और कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने सिद्धू से कपूरथला के एक चीनी व्यापारी राणा गुरजीत सिंह के अमरिंदर सरकार में 'खनन घोटाले' में शामिल होने को देखते हुए उन्हें कैबिनेट में शामिल नहीं किए जाने की मांग की थी।
सिद्धू ने इसे कांग्रेस आलाकमान के सामने भी उठाया था, लेकिन उनके इस विरोध पर ध्यान नहीं दिया गया और राणा को मंत्री पद दे दिया गया। इससे सिद्धू खासे नाराज चल रहे थे।
#4
विभागों के बंटवारे से भी नाखुश बताए जा रहे थे सिद्धू
कहा जा रहा है कि मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद नए मंत्रियों को किए गए विभागों के बंटवारे से भी सिद्धू काफी नाराज थे।
दरअसल, मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने विभागों के बंटवारे की एक सूची तैयार कर कांग्रेस आलाकमान को भेजी थी और उसे मंजूर भी कर लिया गया।
इसके चलते सिद्धू के विरोध के बाद भी उनके विरोधी नेता रंधावा को गृह मंत्रालय सौंप दिया गया। पार्टी के इस कदम ने सिद्धू को खासा नाराज कर दिया।
#5
तबादलों में अनदेखी ने भी किया आग में घी का काम
सूत्रों की माने तो सिद्धू ने सिद्धार्थ चट्टोपाध्याय को पुलिस महानिदेशक (DGP) और डीएस पटवालिया को महाधिवक्ता नियुक्त करने की सिफारिश की थी, लेकिन मुख्यमंत्री चन्नी ने उसे सिरे से खारिज कर दिया। इससे वह मुख्यमंत्री से खासे नाराज बताए जा रहे थे।
मुख्यमंत्री द्वारा की गई इस अनदेखी ने भी सिद्धू को पद से इस्तीफा देने के लिए प्रेरित किया है।
दरअसल, सिद्धू मुख्यमंत्री चन्नी को अपने हिसाब से चलाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
समस्या
कांग्रेस के सामने खड़ी हुई समस्या
सिद्धू के अचानक प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी के सामने बड़ी समस्या खड़ी हो गई है।
कांग्रेस ने पहले तो सिद्धू से विवाद के कारण अमरिंदर सिंह से इस्तीफा लेकर उन्हें अपना विरोधी बना लिया और अब सिद्धू ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देकर पार्टी आलाकमान की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
अब पार्टी के सामने सबसे बड़ा सवाल यह है कि राज्य में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्व कौन करेगा?