
भाजपा के खिलाफ 450 सीटों पर संयुक्त उम्मीदवार उतार सकता है विपक्ष, पटना में होगी चर्चा
क्या है खबर?
अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए विपक्षी पार्टियां एकजुट होती दिखाई दे रही हैं। इसी सिलसिले में 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में कई विपक्षी पार्टियों के नेता जुटने वाले हैं।
चर्चा है कि इस बैठक में सत्तारुढ़ भाजपा को 450 सीटों पर सीधे टक्कर देने की रणनीति तय हो सकती है। इसके मुताबिक इन सीटों पर भाजपा के सामने विपक्ष का एक ही उम्मीदवार उतारा जा सकता है।
रणनीति
क्या है विपक्ष की रणनीति?
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, कुल 543 लोकसभा सीटों पर से कम से कम 450 सीटों पर विपक्षी पार्टियां भाजपा के सामने केवल एक संयुक्त उम्मीदवार उतारने की रणनीति पर काम कर रही हैं।
रणनीति के मुताबिक, जहां भाजपा का सीधा मुकाबला किसी भी एक विपक्षी पार्टी से है, वहां दूसरी पार्टियां अपना उम्मीदवार नहीं उतारेगी, ताकि वोट न बंटें।
पटना में होने वाली बैठक में इस संबंध में और चर्चा हो सकती है।
फॉर्मूला
उम्मीदवार का चयन करने के पीछे ये रहेगा फॉर्मूला
फॉर्मूले के मुताबिक, जहां पर क्षेत्रीय पार्टियों की पकड़ मजबूत है, वहां वे भाजपा के सामने अपना उम्मीदवार उतारेंगी।
कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टियां वहां उम्मीदवार उतारेंगी, जहां उनका सीधी टक्कर भाजपा से है या जिन राज्यों में उसकी सरकार है।
हालांकि, जिन राज्यों में 2 पार्टियां विपक्ष में हैं, वहां उम्मीदवार के चयन को लेकर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।
'एक सीट, एक उम्मीदवार' का यह फॉर्मूला सबसे पहले नीतीश कुमार ने दिया था।
पटना
23 जून को पटना में जुटेंगे कई नेता
बता दें कि विपक्ष के कई नेता 23 जून को बिहार की राजधानी पटना में बड़ी बैठक करने वाले हैं।
इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी, ममता बनर्जी, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के अध्यक्ष उद्धव ठाकरे शामिल होंगे।
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखऱ राव बैठक में शामिल नहीं होंगे।
जानकारी
पटना में ही क्यों जुट रहे नेता?
विपक्षी एकता की पूरी कवायद के पीछे सबसे बड़ा हाथ नीतीश कुमार का है, इसलिए वे अपने गृहराज्य में नेताओं को बुला रहे हैं। आपातकाल के बाद जयप्रकाश नारायण की अगुवाई में बिहार विपक्षी राजनीति का गढ़ रहा था, यानी इसका सांकेतिक महत्व भी है।
नीतीश
विपक्षी पार्टियों को साधने में जुटे हैं नीतीश
बता दें कि नीतीश काफी समय से विपक्षी पार्टियों को साथ लाने के लिए कोशिशें कर रहे हैं। इस संबंध में वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) प्रमुख शरद पवार, उद्धव, ममता बनर्जी, खड़गे, राहुल, पटनायक और वामपंथी पार्टियों के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा के साथ भी चर्चा कर चुके हैं।
ममता ने पहले कांग्रेस के साथ गठबंधन पर ऐतराज जताया था, लेकिन कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस की जीत के बाद ममता के सुर बदल गए थे।