कृषि विधेयकों के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन करेंगी विपक्षी पार्टियां और किसान संगठन
विपक्षी पार्टियों और किसान संगठनों ने केंद्र सरकार के विवादित कृषि विधेयकों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। शुक्रवार इस कड़ी में सबसे अहम दिन होगा जब कई पार्टियां और किसान संगठन देश के अलग-अलग इलाकों में प्रदर्शन करेंगे। वहीं कांग्रेस ने जिला स्तर पर जुलूसों से लेकर विधेयकों के विरोध में दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जमा करने तक एक बड़े और लंबे विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है।
क्या है कृषि विधेयकों का पूरा मुद्दा?
कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए मोदी सरकार तीन विधेयक लेकर आई है जिनमें से दो कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक संसद से पारित हो चुके हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन बिलों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिए सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
14 नवंबर को राष्ट्रपति के पास किसानों के हस्ताक्षर जमा करेगी कांग्रेस
किसानों के साथ-साथ विपक्षी पार्टियां भी इन विधेयकों का जमकर विरोध कर रही हैं और संसद में इन्हें रोकने में नाकाम रहने पर अब उन्होंने देशभर में प्रदर्शन की योजना बनाई है। विधेयकों को किसानों का डेथ वारंट बताने वाली कांग्रेस गुरूवार से इनके खिलाफ प्रदर्शन शुरू करेगी। समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, इसमें जिला स्तरीय विरोध जुलूसों के अलावा 14 नवंबर को दो करोड़ किसानों के हस्ताक्षर राष्ट्रपति के पास जमा करने की महत्वाकांक्षी योजना भी शामिल है।
2 अक्टूबर को 'किसान और कृषि मजदूर बचाओ' दिवस बनाएगी कांग्रेस
गांधी परिवार के साथ एक वर्चुअल बैठक के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा, "2 अक्टूबर को महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री के जयंती के अवसर पर हम 'किसान और कृषि मजदूर बचाओ' दिवस बनाएंगे। हम इन कृषि विधेयकों को तत्काल वापस लिए जाने की मांग करते हुए हर राज्य और जिले में रैली और जुलूस निकालेंगे।" उन्होंने कहा कि सरकार जिस तरीके से संसद को तबाह कर रही है, वह अस्वीकार्य है।
शुक्रवार को एक साथ कई प्रदर्शन
अन्य पार्टियों और संगठनों की बात करें तो उनके लिए ये शुक्रवार बेहद अहम दिन होने जा रहा है। भारतीय किसान यूनियन (BKU) इस दिन देशव्यापी प्रदर्शन करते हुए सड़कें जाम करेगी, वहीं अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने भी इस दिन प्रदर्शन बुलाया है जिसे कम से कम 10 किसान संगठनों ने समर्थन दिया है। पंजाब के 30 किसान संगठन भी इस दिन राज्य में प्रदर्शन करेंगे और आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे अपना समर्थन दिया है।
बंगाल और तमिलनाडु में भी प्रदर्शन करेंगी विपक्षी पार्टियां
इसके अलावा पश्चिम बंगाल में वामपंथी पार्टियां और उनके सहयोगी किसानों के साथ प्रदर्शन करते हुए सड़कें जाम करेंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (TMC) भी इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन करेगी। सोमवार को केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा कि उनकी पार्टी मंगलवार से सड़कों पर उतरेगी। वहीं तमिलनाडु में द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और उसके सहयोगी 28 सितंबर से इन विधेयकों के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करेंगे।
18 विपक्षी पार्टियों ने राष्ट्रपति से की विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने की अपील
बता दें कि 18 विपक्षी पार्टियों ने मामले में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भी पत्र लिखा है। सोमवार को भेजे गए इस पत्र में उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए राष्ट्रपति से इन विवादित विधेयकों पर हस्ताक्षर न करने का अनुरोध किया है।