आंध्र प्रदेश का भी NRC से इनकार, अब तक आठ राज्य विरोध में
क्या है खबर?
नागरिकता कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) के खिलाफ जबरदस्त प्रदर्शनों के बीच अब आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने भी ऐलान किया है कि वो अपने राज्य में NRC लागू नहीं होने देंगे।
उन्होंने अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आश्वासन देते हुए ये बात कही।
इसी के साथ आंध्र प्रदेश उन राज्यों की सूची में शामिल हो गया है जहां के मुख्मयंत्री अपने राज्य में NRC लागू नहीं करने का ऐलान कर चुके हैं।
बयान
रेड्डी बोले, आंध्र प्रदेश नहीं करेगा NRC का समर्थन
सोमवार को कड़पा में एक स्टील प्लांट का उद्घाटन करते वक्त जगन रेड्डी ने ये बात कही।
उन्होंने कहा, "अल्पसंख्यक समुदाय के भाईयों ने मुझसे NRC पर बयान देने को कहा था। मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि हम NRC का विरोध करेंगे और आंध्र प्रदेश किसी भी शर्त पर इसका समर्थन नहीं करेगा।"
इससे पहले उप मुख्यमंत्री अमजाथ बाशा शायक बेपारी भी एक हफ्ते पहले NRC का समर्थन न करने की बात कह चुके हैं।
जानकारी
आंध्र प्रदेश में 11-12 प्रतिशत मुस्लिम
बता दें कि आंध्र प्रदेश में लगभग 11-12 प्रतिशत मुस्लिम हैं और जहां रेड्डी ने ये बयान दिया वहां मुस्लिमों की संख्या इससे भी अधिक है। NRC को लेकर मुस्लिम समुदाय के डर को दूर करने के लिए ही रेड्डी ने ये बयान दिया है।
कौन-कौन विरोध में?
अब तक इन राज्यों के मुख्यमंत्री कर चुके हैं विरोध
इस बयान के साथ ही रेड्डी उन मुख्यमंत्रियों की सूची में शामिल हो गए हैं जो अपने राज्य में NRC लागू नहीं करने की बात कह चुके हैं।
अब तक सात राज्यों के मुख्यमंत्री ऐसा कर चुके हैं। इनमें ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल), नीतीश कुमार (बिहार), नवीन पटनायक (ओडिशा), अमरिंदर सिंह (पंजाब), कमल नाथ (मध्य प्रदेश), अशोक गहलोत (राजस्थान) और पिनराई विजयन (केरल) शामिल हैं।
छत्तीसढ़ और झारखंड भी जल्द इस सूची में शामिल हो सकते हैं।
असर
तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव पर भी बढ़ेगा दबाव
रेड्डी के इस बयान से उनके विरोधी और पड़ोसी राज्य तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव पर भी NRC पर अपना रुख साफ करने का दबाव बढ़ गया है।
राव की पार्टी तेलंगाना राष्ट्रीय समिति (TRS) ने संसद में नागरिकता (संशोधन) बिल का विरोध किया था लेकिन उसके बाद से राव ने नागरिकता कानून और NRC पर कोई भी सार्वजनिक बयान नहीं दिया है।
कांग्रेस ने उन्हें रविवार तक अपना रुख साफ करने को कहा है।
जानकारी
TRS को बड़ी संख्या में मिलते हैं मुस्लिम वोट
TRS को भी अच्छी संख्या में मुस्लिम समुदाय के वोट मिलते हैं। ऐसे में राव पर भी NRC पर अपना रुख साफ करने का दबाव होगा और वो भी जल्द NRC का विरोध कर रहे मुख्यमंत्रियों की सूची में शामिल हो सकते हैं।
देशव्यापी NRC
इसलिए अहम है राज्यों का विरोध
यूं तो नागरिकता पर कानून बनाना केंद्र सरकार के अधिकार क्षेत्र में आता है लेकिन NRC को पूरे देश में लागू करने के लिए उसे राज्य सरकारों की जरूरत होगी।
बिना राज्य सरकार के प्रशासन के सहयोग के NRC करना लगभग असंभव होगा।
इसी कारण कई राज्यों के NRC के विरोध में उतरना और अपने राज्यों में इसे लागू करने से मना करना बेहद अहम है।
प्रदर्शनों के कारण मुख्यमंत्रियों पर भी इसका विरोध करने का दबाव बढ़ रहा है।