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    राजनीति

    दिल्ली विधानसभा चुनाव: इस रणनीति से आम आदमी पार्टी ने किया भाजपा को चित

    दिल्ली विधानसभा चुनाव: इस रणनीति से आम आदमी पार्टी ने किया भाजपा को चित
    लेखन मुकुल तोमर
    Feb 11, 2020, 08:53 pm 1 मिनट में पढ़ें
    दिल्ली विधानसभा चुनाव: इस रणनीति से आम आदमी पार्टी ने किया भाजपा को चित

    दिल्ली विधानसभा चुनावों के नतीजे सामने आ चुके हैं। आम आदमी पार्टी (AAP) ने 62 सीटों पर जीत हासिल की तो वहीं दो दशक बाद दिल्ली की सत्ता में वापसी की कोशिश में लगी भाजपा को कामयाबी नहीं मिल पाई और वह महज आठ सीटों पर सिमट कर रह गई। इन चुनावों में AAP और भाजपा की रणनीति में काफी अंतर रहा। आइए जानते हैं कि AAP ने ऐसी क्या रणनीति अपनाई जिसने भाजपा को चित कर दिया।

    बिजली-पानी और महिलाओं की यात्रा मुफ्त करने से बड़ा फायदा

    दिल्ली में केजरीवाल की हैट्रिक के पीछे सबसे बड़ा योगदान बिजली-पानी और महिलाओं की बस यात्रा मुफ्त करने का रहा। 2015 में सत्ता में आते ही पार्टी ने वादे के मुताबिक, पानी और बिजली के दाम कम दिए थे। इसके बाद 2019 में उसने 200 यूनिट तक बिजली मुफ्त कर दी। इसी तर्ज पर पानी को भी मुफ्त कर दिया गया। DTC बसों में महिलाओं के लिए मुफ्त सफर कड़ी में तीसरी बड़ा ऐलान रहा।

    मुफ्त सुविधाओं से गरीब परिवारों को हुआ सीधा फायदा

    बिजली-पानी मुफ्त करने का सीधा असर गरीब परिवारों के बजट पर पड़ा और उन्हें बड़ी राहत मिली। इसी कारण गरीब तबके के लोगों से AAP को बड़े पैमाने पर वोट मिले। वहीं मुफ्त यात्रा के जरिए AAP महिलाओं को अपनी ओर खींचने में कामयाब रही।

    अपने कामकाज पर केंद्रित रखा चुनाव प्रचार

    कोई भी नकारात्मक प्रचार करने के बजाय AAP ने अपने चुनाव रणनीति के केंद्र में अपने पांच साल के काम को रखा और उसी के नाम पर वोट मांगे। AAP ने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेेत्र में किए गए कार्य को लोगों के सामने रखते हुए दावा किया कि उसने स्कूली शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र की सूरत बदल दी है। इन दोनों क्षेत्रों में उसके काम से दिल्ली के लोग भी काफी प्रभावित नजर आए।

    केजरीवाल के चेहरे के सामने नहीं था कोई

    AAP ने दिल्लीवालों के सामने न केवल अपना काम बल्कि केजरीवाल के रूप में उस काम को एक चेहरा भी दिया। भारतीय राजनीति के ऐसे दौर में जब चेहरे मुद्दों से ज्यादा अहम हो गए हैं, केजरीवाल ने AAP के लिए वही काम किया जो भाजपा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करते हैं। केजरीवाल ने चुनाव को पूरी तरह से अपने आसपास केंद्रित कर लिया और भाजपा-कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री का चेहरा न होने से उन्हें बड़ा फायदा हुआ।

    राष्ट्रवाद पर किया रणनीति में बदलाव

    पिछले एक साल में AAP ने भाजपा को टक्कर देने के लिए अपनी रणनीति में कुछ खास बदलाव भी किए। इनमें से एक राष्ट्रवाद का मुद्दा रहा। सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत मांगने की अपनी गलती से सीखते हुए AAP ने भाजपा को फिर दोबारा राष्ट्रवाद के मुद्दे पर उसे घेरने का मौका नहीं दिया। पार्टी ने बालाकोट एयर स्ट्राइक को सेना की सफलता बताने में देर नहीं की और अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले का भी समर्थन किया।

    हिंदुत्व के मुद्दे पर नहीं दिया भाजपा को कोई मौका

    राष्ट्रवाद के अलावा AAP ने हिंदुत्व के मुद्दे पर भी भाजपा को ऐसा कोई मौका नहीं दिया कि वो उसे "हिंदू विरोधी" बता सके। पहले केजरीवाल ने एक चैनल पर हनुमान चालीसा पढ़ी और फिर वोटिंग के एक दिन पहले हनुमान मंदिर पहुंच गए। इसके अलावा समय-समय पर उनके भाषणों में भगवान का जिक्र होता रहा। इन कार्यों ने भाजपा के पास धर्म के मुद्दे पर AAP को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा।

    प्रधानमंत्री मोदी पर हमले करना किया बंद

    पिछले एक साल में केजरीवाल ने अपनी रणनीति में एक और अहम बदलाव किया। लोकसभा चुनाव के बाद केजरीवाल और AAP ने जल्द ही ये समझ लिया कि वोटर्स का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो लोकसभा में भाजपा और विधानसभा में AAP को वोट देता है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी पर सीधा हमला करने से इस वोटबैंक को नुकसान पहुंच सकता है। इसी कारण AAP और केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी पर हमला करना बंद कर दिया।

    चुनाव को स्थानीय मुद्दों पर रखा केंद्रित

    AAP की चुनाव रणनीति की एक और खास बात ये रही कि उसने चुनाव को राष्ट्रीय मुद्दों पर खींचने के भाजपा के प्रयासों को विफल करते हुए इसे स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित रखा। जब भी उससे राष्ट्रीय मुद्दों पर राय मांगी गई, उन्होंने इसके जवाब में दिल्ली के मुद्दे गिनाए। चूंकि स्थानीय स्तर के बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे मुद्दों पर AAP अपने वादों को पूरा कर चुकी थी, ऐसे में भाजपा के पास कोई मुद्दा नहीं रहा।

    शाहीन बाग पर धुव्रीकरण की कोशिश को भी किया नाकाम

    भाजपा नेताओं ने शाहीन बाग में नागरिकता कानून के खिलाफ हो रहे धरने पर लगातार भड़काऊ बयान देकर धुव्रीकरण की भी खूब कोशिश की, लेकिन AAP ने शाहीन बाग पर कुछ न बोलकर भाजपा के इस प्रयास को विफल कर दिया।

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