नागरिकता कानून का विरोध: ममता ने बुलाई रैली, केरल में सरकार और विपक्ष का साझा प्रदर्शन
नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी सोमवार को कोलकाता में रैली करेंगी। उन्होंने सोमवार सुबह रैली के आयोजन का ऐलान करते हुए कहा, 'असंवैधानिक नागरिकता संशोधन कानून और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन के विरोध में एक बड़ी रैली का आयोजन होगा। यह दोपहर एक बजे रेड रोड़ स्थित बाबा साहेब अंबेडकर की मूर्ति से शुरू होकर जोरासेंको ठाकुबड़ी पर खत्म होगी।' आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
पश्चिम बंगाल में हो रहे हैं विरोध प्रदर्शन
पिछले सप्ताह संसद द्वारा नागरिकता संसोधन कानून पारित किए जाने के बाद से पश्चिम बंगाल समेत देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है। पश्चिम बंगाल में सोमवार को लगातार चौथे दिन कानून के विरोध में सड़क और रेल यातायात प्रभावित रहा। अधिकारियों ने बताया कि पूर्वी मिदनापुर और मुर्शिदाबाद में प्रदर्शनकारियों ने रास्ते बंद कर दिये, जिससे सैंकड़ों यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ा। प्रदर्शनों को देखते हुए कई ट्रेनें रद्द की गई हैं।
पटरियों पर जमा हुए लोग
रेलवे प्रवक्ता ने बताया कि प्रदर्शनकारियों ने सियालदह-डायमंड हार्बर और सियालदह-नमखाना सेक्टर में पटरियों को जाम कर दिया है। लोगों को वहां से हटाने के प्रयास किया जा रहा है।
ममता ने किया रैली का आह्वान
प्रदर्शनकारियों ने पुलिस थाने पर बोला धावा
प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य के मालदा, उत्तर दिनाजपुर, मुर्शिदाबाद, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और दक्षिण 24 परगना समेत छह जिलों में इंटरनेट बंद किया गया है। वहीं रविवार रात कुछ प्रदर्शनकारियों ने उलबेरिया इलाके में पुलिस थाने पर हमला कर दिया था। इसमें थाना प्रभारी समेत कई पुलिसकर्मी घायल हो गए, जिन्हें इलाज के लिए स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया है। नदिया और बीरभूम जिलों में हिंसा, लूट-पाट और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं।
केरल में सरकार और विपक्ष साथ मिलकर कर रहे प्रदर्शन
केरल में सरकार विपक्ष के साथ मिलकर नागरिकता संशोधन कानून का विरोध कर रही है। सोमवार को मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रमेश चेन्निथला के साथ मिलकर कानून के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ मिलकर अपना एजेंडा चला रहे हैं। केरल इस कानून के विरोध में एकजुटता से खड़ा है। गौरतलब है कि विजयन पहले ही कह चुके हैं कि उनकी सरकार राज्य में यह कानून लागू नहीं करेगी।
नागरिकता कानून के खिलाफ एकजुट है केरल- विजयन
क्या है नागरिकता संशोधन कानून?
केंद्र सरकार ने पिछले सप्ताह 1955 के नागरिकता कानून को संशोधित किया था। इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अत्याचार का सामना कर रहे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता देने का रास्ता साफ हुआ है। इन धार्मिक शरणार्थियों को सिर्फ छह साल भारत में रहने के बाद भारतीय नागरिकता मिल सकेगी, जबकि पहले उन्हें नागरिकता पाने के लिए 11 साल तक भारत में रहना अनिवार्य था।
इस कानून का विरोध क्यों?
पूर्वात्तर समेत देश के कई राज्यों में इस कानून का विरोध हो रहा है। विपक्षी पार्टियां इस कानून को देश के संविधान के मूल ढांचे के खिलाफ बता रही हैं। उनका कहना है कि यह कानून धर्म के आधार पर भेदभाव करता है।