राजस्थान: भाजपा की रणनीति फेल करने के लिए आज विश्वास प्रस्ताव पेश कर सकते हैं गहलोत
राजस्थान के सियासी घटनाक्रम में गुरूवार को तब एक और दिलचस्प मोड़ आया, जब भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव के जबाव में मुुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विश्वास प्रस्ताव लाकर खुद बहुमत साबित करने की बात कही। गहलोत आज नए विधानसभा सत्र के पहले ही दिन ये प्रस्ताव पेश कर सकते हैं। नियमों के मुताबिक, अगर वह ऐसा करते हैं तो मुख्यमंत्री होने के कारण उनके विश्वास प्रस्ताव को भाजपा के अविश्वास प्रस्ताव पर वरीयता मिलेगी।
भाजपा ने कल किया था अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान
सचिन पायलट की पूरी बगावत के दौरान बहुमत परीक्षण की मांग से पीछे हटती रही भाजपा ने कल गहलोत सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर सबको चौंका दिया था। भाजपा का ये ऐलान इसलिए भी चौंकाने वाला था क्योंकि सोमवार की ही पायलट ने कांग्रेस से सुलह की है और उनके खेमे के विधायकों के समर्थन के बाद मुख्यमंत्री गहलोत के लिए बहुमत साबित करना बेहद आसान होगा।
इसलिए अविश्वास प्रस्ताव ला रही है भाजपा
दरअसल, भाजपा को भी पता है कि गहलोत के पास पूर्ण बहुमत है और उसका अविश्वास प्रस्ताव गिर जाएगा, लेकिन वह फिर भी प्रस्ताव इसलिए ला रही है ताकि इसके जरिए विधानसभा में बहस हो सके और वह सरकार की नाकामियों को उजागर कर सके।
विश्वास प्रस्ताव का ऐलान कर गहलोत ने फेल की भाजपा की योजना
विश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर गहलोत ने भाजपा के इस दांव को असफल करने की कोशिश की है। वह ध्वनि मत के जरिए इसे पारित करा सकते है और इससे वह बहस कराने के भाजपा के दांव से बच जाएंगे। ये प्रस्ताव इसलिए भी गहलोत के लिए अहम है क्योंकि इसमें बहुमत साबित करने पर उन्हें छह महीने के लिए राहत मिल जाएगी। इसी कारण वह पायलट की बगावत के दौरान भी बहुमत परीक्षण पर अड़े हुए थे।
क्या है विधानसभा की स्थिति?
पायलट खेमे की वापसी के बाद मजबूत हुई गहलोत सरकार के लिए विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा। बगावत के समय गहलोत खेमे के पास 102 विधायकों का समर्थन हासिल था और अब पायलट खेमे के 19 विधायकों की वापसी के बाद ये आंकड़ा 121 हो गया है। 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में उन्हें बहुमत साबित करने के लिए 101 वोट चाहिए। विधानसभा में भाजपा के 72 विधायक हैं, जबकि उसके सहयोगियों के तीन विधायक हैं।
बसपा ने कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को फिर जारी किया व्हिप
गहलोत को जिन 121 विधायकों का समर्थन हासिल है, उनमें पिछले साल सितंबर में बसपा से कांग्रेस में शामिल होने वाले छह विधायक भी शामिल हैं। मामले में कोर्ट में सुनवाई हो रही है और बसपा ने व्हिप जारी कर अपने इन विधायकों को कांग्रेस सरकार के खिलाफ वोट देने का आदेश भी दिया है। हालांकि कोर्ट से उसे राहत नहीं मिली है और ये विधायक कांग्रेस की तरफ से ही विधानसभा की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे।
इस खबर को शेयर करें