महाराष्ट्र: भाजपा ने देवेंद्र फडणवीस की जगह एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री क्यों बनाया?
क्या है खबर?
महाराष्ट्र में चल रहा सियासी संकट उद्धव ठाकरे के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद खत्म हो गया था।
उम्मीद थी कि शिवसेना के बागी एकनाथ शिंदे गुट से मिलकर भाजपा सरकार बनाएगी और देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री बनेंगे।
इस बीच फडणवीस ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा करते हुए सभी को चकित कर दिया। इसके बाद शाम 07:30 बजे शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली।
आइये जानते हैं कि भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री क्यों बनाया।
#1
BMC चुनाव में बढ़त हासिल करने का लक्ष्य
शिंदे के मुख्यमंत्री बनने के बाद मुंबई भाजपा ने ट्वीट किया, 'यह तो झांकी है, मुंबई महापालिका बाकी है।'
दरअसल, लंबे समय से बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) में शिवसेना का एकछत्र राज है। भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर BMC में शिवसेना के दशकों से चले आ रहे आधिपत्य को चुनौती दी है।
BMC चुनाव में भाजपा केंद्र और राज्य के साथ BMC में भी उसकी सरकार होने से शहर के विकास को गति मिलने के दावे के साथ उतरेगी।
#2
सत्ता की लालची पार्टी होने की छवि को खत्म करने का प्रयास
भाजपा ने इस कदम से खुद की सत्ता की लालची पार्टी होने छवि को खत्म करने का प्रयास किया है।
दरअसल, 2019 में मुख्यमंत्री पद को लेकर भाजपा और शिवसेना में गठबंधन टूट गया था। उसके बाद फडणवीस ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अजीत पवार को साथ मिलाकर मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली थी, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाने से सरकार टिक नहीं पाई।
उस दौरान शिवसेना ने भाजपा को सत्ता की लालची पार्टी करार दिया था।
#3
भाजपा ने सत्ता से ऊपर दिखाया अपना हिंदुत्व का मुद्दा
उद्धव ठाकरे ने 2019 में NCP और कांग्रेस के साथ मिलकर सरकार तो बना ली, लेकिन अपने हिंदुत्व सहित प्रमुख मुद्दों को पीछे छोड़ दिया। इसकी काफी आलोचना भी हुई थी।
ऐसे में भाजपा ने शिंदे गुट को समर्थन देकर यह संदेश देने में कामयाबी पाई है कि पार्टी हिंदुत्व की कीमत पर सत्ता पाने की कोशिश नहीं करती है, बल्कि, हिंदुत्व का समर्थन करने वालों को उचित सम्मान भी देती है। यह भाजपा का मास्टर स्ट्रोक हो सकता है।
जानकारी
उद्धव ठाकरे को मिली सहानुभूति को खत्म करना
भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देने के दौरान फेसबुक लाइव से मिली सहानुभूति को भी खत्म किया है। ठाकरे ने भाजपा को जनता के सामने पीठ में छुरा घोंपने वाली पार्टी के रूप में पेश करने का प्रयास किया था।
#4
बालासाहेब की शिवसेना के साथ होने का संदेश
शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने जनता को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि उसने शिवसेना की सरकार गिराई नहीं है, बल्कि शिवसेना संस्थापक बालासाहेब के प्रमुख मुद्दों से हट चुके उद्धव गुट को हटाकर उनके नक्शेकदम पर आगे बढ़ने वाली शिवसेना को सत्ता में लाने में मदद की है।
इससे जहां एक तरफ उद्धव ठाकरे वाले शिवसेना गुट में फूट पड़ेगी, वहीं साल 2024 के विधानसभा चुनावों में भाजपा को इसका सीधा फायदा मिलेगा।
#5
अगले ढाई सालों के लिए सुरक्षित की सरकार की नींव
शिंदे को भले ही शिवसेना के विधायकों का बड़ा समर्थन हासिल है, लेकिन राजनीति में चीजें बदलने में समय नहीं लगता है।
ऐसे में फडणवीस के मुख्यमंत्री बनने पर शिंदे गुट के विधायकों के फिर से बगावत करने का खतरा हमेशा बना रहता।
इसको देखते हुए भाजपा ने शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर अगले ढाई सालों के लिए सरकार को सुरक्षित किया है।
इसका कारण है कि शिंदे के मुख्यमंत्री होने से विधायकों के बगावत की संभावना खत्म हो जाएगी।
#6
भाजपा ने बंद किए आलोचनाओं के द्वार
शिंदे की बगावत को राजनीतिक विशेषज्ञों ने भाजपा का 'ऑपरेशन लोटस' करार दिया था। उस पर शिंदे गुट की बगावत को पर्दे के पीछे से हवा देने के आरोप लग रहे थे, लेकिन शिंदे को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने तमाम आलोचनाओं और आरोपों के द्वार बंद कर दिए हैं।
तकनीकी तौर पर देखें तो भाजपा को शिवसेना का ही समर्थन प्राप्त है। सारे बागी विधायक अभी भी शिवसेना का हिस्सा हैं और उन्होंने कांग्रेस तथा NCP से बगावत की है।
तैयारी
भाजपा और शिंदे के बीच पिछले एक साल से चल रही थी बातचीत
सूत्रों की माने तो भाजपा ने शिंदे को पहले ही मुख्यमंत्री पद का ऑफर दे दिया था। जिसके बाद शिंदे ने पूरी योजना के साथ शिवसेना के बागी विधायकों को अपनी टीम में शामिल करने का काम किया।
यह भी सामने आया है कि इस मामले में फडणवीस और शिंदे के बीच पिछले एक साल से अधिक समय से यह बातचीत चल रही थी। जिसका असर महाराष्ट्र में राज्यसभा और विधान परिषद चुनावों में भी साफ देखने को मिला था।