महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख की सांसद सुप्रिया सुले पर महिला विरोधी टिप्पणी, बोले- घर जाकर खाना बनाओ
क्या है खबर?
महाराष्ट्र भाजपा प्रमुख चंद्रकांत पाटिल बुधवार को राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) सांसद सुप्रिया सुले पर निशाना साधते हुए अपनी मर्यादा भूल गए और विवादित बयान दे डाला।
उन्होंने सुप्रिया को सलाह दी कि अगर उन्हें राजनीति समझ नहीं आती तो वह घर जाकर खाना बनाएं।
इस महिला विरोधी बयान के लिए पाटिल को आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है और सुप्रिया के पति ने पाटिल पर हमला बोलते हुए इसे सभी महिलाओं का अपमान बताया है।
विवादित
पाटिल ने क्या कहा?
नौकरियों और शिक्षा में अन्य पिछड़े वर्ग (OBC) के लिए आरक्षण पर सुप्रिया सुले के एक बयान का जवाब देते हुए एक प्रदर्शन के दौरान चंद्रकांत पाटिल ने कहा, "आप (सुप्रिया सुले) राजनीति में क्यों हैं? घर जाइए और खाना बनाइए। आप राजनीति में हैं और आपको ये नहीं पता कि एक मुख्यमंत्री से कैसे मिलना है? आप भी दिल्ली जाती हो या भाड़ में जाती हो या जो भी है, बस आरक्षण दे दो।"
पृष्ठभूमि
सुप्रिया सुले ने क्या कहा था?
सुप्रिया सुले ने OBC आरक्षण के लिए महाराष्ट्र की लड़ाई की मध्य प्रदेश से तुलना की थी और सवाल खड़ा किया था कि मध्य प्रदेश को सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी कैसे मिल गई, जबकि कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के आरक्षण देने के फैसले को रद्द कर दिया था।
उन्होंने कहा, 'मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली आए और किसी से मिले... मुझे नहीं पता अगले दो दिन में क्या हुआ और उन्हें OBC आरक्षण के लिए हरी झंडी मिल गई।"
पलटवार
सुप्रिया के पति ने भाजपा को बताया महिला विरोधी पार्टी
मामले में पाटिल पर निशाना साधते हुए सुप्रिया के पति सदानंद सुले ने कहा, 'मेरे हमेशा से मानना रहा है कि वो (भाजपा) महिला विरोधी हैं और जब भी मौका मिलता है, महिलाओं को नीचे दिखाते हैं।'
सुप्रिया का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है जो एक गृहिणी, मां और एक सफल राजनेत्री है, भारत की कई मेहनती और प्रतिभावान महिलाओं में से एक। ये (बयान) सभी महिलाओं का अपमान है।'
राजनीति
नौकरियों और शिक्षा में OBC आरक्षण को लेकर आमने-सामने हैं भाजपा और महाराष्ट्र सरकार
बता दें कि महाराष्ट्र में नौकरियों और शिक्षा में OBC आरक्षण को लेकर सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी गठबंधन और विपक्षी पार्टी भाजपा आमने-सामने हैं।
इन क्षेत्रों में OBC आरक्षण लागू करने के राज्य सरकार के फैसले पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी और भाजपा का कहना है कि सरकार मुद्दे पर पर्याप्त प्रयास नहीं कर रही है।
वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन ने केंद्र की भाजपा सरकार पर डाटा प्रदान न करने का आरोप लगाया है।