महाराष्ट्र के वरिष्ठ नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने छोड़ी कांग्रेस, 10 और विधायक लाइन में
लोकसभा चुनाव में करारी हार से उबरने में जूझ रही कांग्रेस के लिए एक और बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है। महाराष्ट्र में पार्टी के बड़े नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। माना जा रहा है कि वह जल्द ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो सकते हैं। हालांकि विखे ने अपने भविष्य को लेकर कुछ भी नहीं कहा है। वहीं, 10 अन्य विधायकों के जल्द ही पार्टी छोड़ने की अटकलें भी तेज हैं।
पहले से थी विखे के पार्टी छोड़ने की आशंका
महाराष्ट्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ऐसा कोई कदम उठा सकते हैं, इसका अंदेशा पिछले काफी समय से लगाया जा रहा था। लोकसभा चुनाव शुरू होने से पहले उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा में नेता विपक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था, जिससे कांग्रेस सकते में रह गई थी। इस बीच NCP के साथ गठंबधन के कारण अहमदनगर लोकसभा सीट से अपने बेटे सुजय विखे पाटिल को टिकट न मिलने से भी वह नाराज बताए जा रहे थे।
भाजपा उम्मीदवार अपने बेटे के लिए किया था चुनाव प्रचार
सुजय इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए और अहमदनगर से जीत दर्ज की। बेटे के भाजपा में शामिल होने के बाद विखे के भी भाजपा में शामिल होने की अटकलें थीं, लेकिन उन्होंने पार्टी बदलने की बजाय कांग्रेस नेता रहते हुए ही अपने बेटे के लिए चुनाव प्रचार किया। NCP ने इसके लिए कांग्रेस से विखे पर कार्रवाई करने की मांग की थी। बता दें कि विखे और NCP प्रमुख शरद पवार की पारिवारिक राजनीतिक दुश्मनी है।
फडणवीस से मिले विखे
इस्तीफा देने के बाद विखे ने कहा, "मैंने पार्टी के लिए प्रचार भी नहीं किया था। मुझे पार्टी हाईकमान पर कोई शक नहीं है। उन्होंने मुझे नेता विपक्ष बनाकर एक मौका दिया था। मैंने अच्छा कार्य करने की कोशिश की। लेकिन हालातों ने मुझे इस्तीफा देने पर मजबूर किया।" विखे इस्तीफा देने के बाद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी मिले और उनके 2019 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है।
पार्टी हाईकमान ने मुझे पूरा मौका दिया- विखे
विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के लिए अच्छी खबर नहीं
विखे के अलावा कांग्रेस के पूर्व मंत्री अब्दुल सत्तार ने भी पार्टी छोड़ दी है। वहीं, अन्य 10 विधायकों के भी जल्द कांग्रेस छोड़ने की खबरें आ रही हैं। लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद जैसे-तैसे खुद को विधानसभा चुनाव के लिए खड़ा करने में जुटी कांग्रेस के लिए ये खबरें अच्छी नहीं कही जा सकती हैं। बता दें कि लोकसभा चुनाव में भाजपा-शिवसेना के गठबंधन ने 48 में से 41 सीटों पर जीत दर्ज की थी।