जोधपुर से बेटे की हार पर बोले अशोक गहलोत, सचिन पायलट को लेनी चाहिए जिम्मेदारी

राजस्थान कांग्रेस में अंदरखाने चल रही खींचतान अब सतह पर आनी शुरू हो गई है। लोकसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि सचिन पायलट को उनके बेटे वैभव की हार की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। गहलोत ने एक इंटरव्यू में कहा कि सचिन ने कहा था कि कांग्रेस बहुमत से जीतेगी। जोधपुर लोकसभा में कांग्रेस के छह विधायक हैं। अब सचिन पायलट को जोधपुर में हार के लिए जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
एबीपी न्यूज को दिए इंटरव्यू में गहलोत ने कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सभी 25 लोकसभा सीटें हार गई हैं। इसकी जिम्मेदारी किसी एक व्यक्ति की नहीं है। यह सबकी जिम्मेदारी है। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले साल विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सरकार बनाई थी। ऐसे में माना जा रहा था कि कांग्रेस राजस्थान में अच्छा प्रदर्शन कर सकती है, लेकिन कांग्रेस यहां अपना खाता नहीं खोल पाई।
जोधपुर से लोकसभा चुनाव लड़ने वाले वैभव को करारी हार का मुंह देखना पड़ा था। उन्हें भाजपा प्रत्याशी और केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत ने 2.7 लाख वोटों से हराया। इसे अशोक गहलोत के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है।
कांग्रेस कार्यकारिणी समिति की बैठक में राहुल ने राजस्थान और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में जहां कांग्रेस की सरकार है, वहां खराब प्रदर्शन को लेकर सख्त नाराजगी दिखाई थी। उन्होंने अशोक गहलोत, कमलनाथ और पी चिदंबरम पर अपने बेटों को पार्टी हित से ऊपर रखने का आरोप लगाया था। इससे जुड़े सवाल के जवाब में गहलोत ने कहा कि ऐसी बैठकों की कुछ गोपनीयता होती है। जो कुछ भी अंदर कहा गया है उसे वहीं रहने देना चाहिए।
लोकसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद कांग्रेस में आपसी टकराव का दौर भी शुरु हो गया है। राजस्थान सरकार में खाद्य मंत्री रमेश चंद मीणा और सहकारिता मंत्री उदयलाल अंजना ने गहलोत पर निशाना साधा था। दोनों मंत्रियों ने राहुल गांधी के उस बयान का समर्थन किया है जिसमें उन्होंने गहलोत पर अपने बेटे को पार्टी से ऊपर रखने का आरोप लगाया था। मीणा ने चेताते हुए कहा कि हार को हल्के में नहीं लेना चाहिए।
लोकसभा चुनावों में शर्मनाक प्रदर्शन के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी और कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनावों में पार्टी को मिली हार के बाद उनका पद पर बने रहना नैतिक रूप से सही नहीं है। कहा जा रहा है कि गहलोत को बचाने के लिए उन्होंने इस्तीफा दिया है ताकि समर्थकों में यह संदेश जाए कि पार्टी हार के बाद गंभीरता से चिंतन कर रही है।
बीते वर्ष हुए विधानसभा चुनावों में कांग्रेस ने 100 सीटें जीती थी। कुल 199 सीटों पर हुए चुनावों में भारतीय जनता पार्टी को 73 सीटें, बहुजन समाज पार्टी को छह और अन्यों को 20 सीटें हासिल हुई थीं। इसके बाद कांग्रेस ने वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री बनाया था। राज्य में कांग्रेस की सरकार बने लगभग छह महीने हुए हैं, लेकिन लोकसभा चुनावों में कांग्रेस यहां अपना खाता भी नहीं खोल पाई। इससे गहलोत पर दबाव काफी बढ़ा है।