किसान मार्च: फिर से नासिक से मुंबई तक के पैदल मार्च पर निकले महाराष्ट्र के किसान
क्या है खबर?
महीनों पहले महाराष्ट्र के नासिक से मुंबई तक पैदल मार्च करके देश का ध्यान कृषि संकट की ओर खींचने वाले हजारों किसान एक बार फिर से मार्च पर निकल चुके हैं।
बुधवार देर रात महाराष्ट्र सरकार से बातचीत के बाद हजारों किसानों ने नासिक से मुंबई के लिए अपना 8 दिवसीय विरोध मार्च शुरु किया।
किसान कर्जमाफी, न्यूनतम समर्थन मूल्य और भूमि अधिकारों सहित अन्य अहम मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
किसान
आश्वासन नहीं एक्शन चाहते हैं किसान
किसानों की इस 200 किलोमीटर लंबी मार्च का आयोजन अखिल भारतीय किसान सभा (AIKS) ने किया है।
AIKS ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के साथ बातचीत जारी होने के बावजूद यह विरोध प्रदर्शन शुरु होगा।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) से संबंधित AIKS ने मार्च पर कहा कि उनकी बुधवार रात को राज्य के जल संसाधन मंत्री गिरीश महाजन के साथ बैठक संतोषजनक रही, लेकिन वह चाहते हैं कि सरकार अपने कहे के अनुसार कदम भी उठाए।
बयान
किसानों को चाहिए समस्याओं के समाधान की गारंटी
AIKS अध्यक्ष अशोक धावले ने कहा, "गिरीश महाजन ने हमारी 80 प्रतिशत मांगों को लेकर सकारात्मक रुख दिखाया है। उन्होंने कहा है कि वह मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से बात करेंगे और मुद्दे को सुलझाने की कोशिश करेंगे।"
बैठक संतोषनजक रहने के बाद भी मार्च करने पर उन्होंने कहा, "हालांकि हमने मार्च शुरु करने का फैसला किया है और इसे तभी खत्म करेंगे जब सरकार की ओर से समस्याओं को सुलझाने के लिए उचित गारंटी और समय अवधि का आश्वासन मिलेगा।"
महाराष्ट्र पुलिस
पुलिस ने नहीं दी मार्च की अनुमति
पहले किसानों की यह मार्च बुधवार से शुरु होनी थी, लेकिन पुलिस द्वारा किसानों को ले जा रहे वाहनों को हिरासत में लेने के बाद इसे स्थगित कर दिया गया।
इस दौरान नासिक पुलिस ने किसानों को मार्च की अनुमति देने से भी इनकार कर दिया था।
अब किसानों ने बिना अनुमति के ही अपनी मार्च शुरु कर दी है।
उनका कहना है कि वह मार्च करके अपने लोकतांत्रिक अधिकार का उपयोग कर रहे हैं।
मांगें
क्या है किसानों की मांग?
मार्च कर रहे किसानों की मांगों की बात करें तो उनकी प्रमुख मांग नदियों को जोड़ने के समझौते पर फिर से विचार करना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पानी गुजरात को ना जाए।
इसके अलावा किसान कर्जमाफी, स्वामीनाथन आयोग की मांगों को लागू करने, फसलों का उचित दाम देने, जंगल की जमीन को आदिवासियों को वापस करने और किसानों के लिए पेंशन योजना की भी मांग कर रहे हैं।
मार्च
पिछले साल मार्च में भी किसानों ने किया था मार्च
पिछले साल मार्च में भी AIKS के नेतृत्व में 30,000 किसानों ने नासिक से मुंबई मार्च करके पूरे देश को हिला दिया था।
राज्य सरकार से उनकी मांगों को पूरा करने का आश्वासन मिलने के बाद किसानों ने अपनी मार्च को खत्म किया था।
हालांकि अब किसानों को लगता है कि उनके साथ धोखा हुआ और उनकी ज्यादातर मांगों पर सरकार ने कुछ नहीं किया।
किसानों का कहना है कि राज्य और केंद्र सरकार ने उनके साथ विश्वासघात किया है।