
कपिल सिब्बल ने छोड़ी कांग्रेस, सपा के सहयोग से किया राज्यसभा के लिए नामांकन
क्या है खबर?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मनमोहन सरकार में मंत्री रहे कपिल सिब्बल ने पार्टी छोड़ दी है। बुधवार को उन्होंने समाजवादी पार्टी के समर्थन से राज्यसभा के लिए नामांकन दाखिल किया है।
सिब्बल ने कहा कि उन्होंने 16 मई को ही पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। बता दें कि वो पिछले काफी समय से कांग्रेस नेतृत्व से नाराज चल रहे थे और कई सार्वजनिक तौर पर गांधी परिवार पर सवाल उठा चुके थे।
बयान
सिब्बल बोले- संसद में स्वतंत्र आवाज होना जरूरी
सपा प्रमुख अखिलेश यादव और सांसद रामगोपाल यादव की मौजूदगी में नामांकन दाखिल करते हुए सिब्बल ने कहा, "मैंने स्वतंत्र उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है। मैं हमेशा से देश में स्वतंत्र आवाज बनना चाहता था।"
उन्होंन कहा कि संसद में स्वतंत्र आवाज होना जरूरी है। अगर कोई स्वतंत्र आवाज वाला व्यक्ति बोलता है तो लोग मानते हैं कि यह किसी पार्टी से नहीं है।
बता दें कि हाल ही में सिब्बल ने अखिलेश से मुलाकात की थी।
जानकारी
आजम खान को बाहर लाने में सिब्बल ने निभाई थी अहम भूमिका
कपिल सिब्बल ने जेल में बंद सपा नेता आजम खान को अंतरिम जमानत दिलाने में अहम भूमिका निभाई थी। जमानत मिलने के बाद खान ने भी सिब्बल की काफी तारीफ की थी।
बता दें कि जेल से निकलने के बाद से अब तक आजम खान ने अखिलेश यादव से मुलाकात नहीं की है। ऐसे में सिब्बल को राज्यसभा भेजकर अखिलेश आजम खान के साथ भी अपने समीकरण ठीक करने में लगे हैं।
समर्थन
सिब्बल को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार थीं तीन पार्टियां
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, सपा समेत तीन पार्टियां कपिल सिब्बल को राज्यसभा भेजने के लिए तैयार थीं। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) भी सिब्बल को राज्यसभा के लिए समर्थन देना चाहती थीं।
दरअसल, इस समर्थन के पीछे कपिल की कानूनी विशेषज्ञता है। राजद में जहां लालू परिवार कई मुकदमों का सामना कर रहा है, वहीं झामुमो नेता हेमंत सोरेन के एक मामले की पैरवी भी सिब्बल कर रहे हैं।
जानकारी
कई मौकों पर कांग्रेस पर सवाल उठा चुके हैं सिब्बल
सिब्बल कांंग्रेस के असंतुष्ट नेताओं के G-23 समूह के बड़े चेहरे थे। वो पिछले कई मौकों पर पार्टी की आलोचना करते हुए नेतृत्व में परिवर्तन की मांग उठा चुके थे।
मार्च में संपन्न हुए पांच राज्य के विधानसभा चुनावों में पार्टी के खराब प्रदर्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा था कि राहुल गांधी अध्यक्ष न होते हुए भी फैसले ले रहे हैं, जबकि हार की जिम्मेदारी लेने के लिए कोई नहीं है। अब नए लोगों को नेतृत्व देना चाहिए।
जानकारी
कांग्रेस में सिब्बल को टिकट मिलना था मुश्किल
इस बार के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस को 10 सीटें ही मिलने की उम्मीद है और उसके पास उम्मीदवारों की लंबी लाइन है। सिब्बल के बागी रूख को देखते हुए पहले ही लग रहा था कि शायद इस बार पार्टी उन पर भरोसा न दिखाए।
कपिल सिब्बल
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल 2004 से 2014 तक डॉ मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते हुए उनकी सरकार में मंत्री थे। उस वक्त वो मीडिया में सरकार का प्रमुख चेहरा हुआ करते थे। 2016 में उन्हें कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश से राज्यसभा में भेजा था और यह कार्यकाल पूरा हो गया है।
सिब्बल वीपी सिंह की सरकार के दौरान एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रहे थे।
नेशनल हेराल्ड मामले में सिब्बल कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी और राहुल गांधी की पैरवी कर रहे हैं।