हाथों से मैला साफ करते समय नहीं हुई किसी की मौत- सरकार
क्या है खबर?
देश में हाथों से मैला साफ करने (मैनुअल स्केवेंजर्स) के दौरान कई मजदूरों की मौत होने की खबरें आए दिन सामने आती रहती है। इसके बाद भी सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में चौंकाने वाला बयान दिया है।
सरकार ने कहा कि देश में मैनुअल स्केवेंजर्स के दौरान कोई मौत दर्ज नहीं की गई है।
सरकार के इस जवाब से मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए सरकार पर जान गंवाने वाले लोगों की गरिमा छीनने का आरोप लगाया है।
सवाल
विपक्ष ने राज्यसभा में सरकार से पूछा था सवाल
इंडिया टुडे के अनुसार, विपक्ष की ओर से राज्यसभा में देश में हाथों से मैला साफ करने वाले लोगों की संख्या और इसके कारण अब तक हुई मौतों के संबंध में सवाल पूछा गया था।
केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्यमंत्री रामदास अठावले ने जवाब देते हुए कहा कि देश में हाथ से मैला उठाने वाले कर्मियों के नियोजन का प्रतिषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के तहत इस पर रोक है और अब तक कोई मौत नहीं हुई है।
पहचान
हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की हुई पहचान- अठावले
केंद्रीय राज्य मंत्री अठावले ने कहा कि हाथ से मैला उठाने वाले 66,692 लोगों की पहचान हुई है, लेकिन देश में अब तक इस कारण मौत होने की कोई सूचना नहीं है।
उन्होंने कहा कि सरकार हाथ से मैला उठाने के कारण होने वाली मौत को मान्यता नहीं देती है। इसकी जगह खतरनाक तरीके से शौचालय टैंक एवं सीवर लाइन की सफाई के दौरान होने वाली मौतों का रिकॉर्ड रखती है और इस तरह की घटनाएं सामने आती रहती है।
विरोध
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने की सरकार के जवाब की निंदा
मैनुअल स्केवेंजर्स उन्मूलन के लिए संचालित सफाई कर्मचारी आंदोलन संगठन के राष्ट्रीय संयोजक बेजवाडा विल्सन ने कहा मंत्री ने खुद ही स्वीकार किया था कि सीवर की सफाई के दौरान 340 लोगों की मौत हुई है, लेकिन अब वह तकनीकी बयान देकर हाथ से मैला सफाई को सूखा शौच बता रहे हैं।
उन्होंने कहा कि मंत्री को बयान में स्पष्ट करना चाहिए कि सूखे शौच की सफाई से मौत नहीं हो सकती, बल्कि सेफ्टी टैंक के कारण मौत होती है।
इनकार
सरकार कर रही हर चीज से इनकार- विल्सन
विल्सन ने कहा कि सरकार अब हर चीज से इनकार कर रही है और मौतों को भी नकार रही है। यह अनुचित है।
उन्होंने कहा कि जब हम लोगों को मार रहे हैं तो यह कहने का साहस भी होना चाहिए कि यह किसी गलती से हो रहा है और हम इसे रोकने का प्रयास कर रहे हैं। यह सम्मान के मौलिक अधिकार का हनन है। सरकार मौतों की गिनती न कर दलितों के जीवन की अनदेखी कर रही है।
मौत
राजधानी दिल्ली में ही हो चुकी है कई मौतें- कुमार
दलित आदिवासी शक्ति अधिकार मंच के सचिव संजीव कुमार ने कहा कि मौतों की संख्या पहले ही कम बताई जा रही है और अब सरकार का इसे पूरी तरह से नकारना बेहद निंदनीय है।
उन्होंने कहा दिल्ली में ही इस तरह की कई मौतें हुई हैं। यह बहुत दुखद और निदंनीय है कि सरकार उनकी मौतों को स्वीकार नहीं कर रही है। जिन लोगों ने अपनी जान गंवाई है, उनकी मौत में भी उनकी गरिमा को लूटा जा रहा है।