मध्य प्रदेश: दो भाजपा विधायकों ने किया कांग्रेस सरकार के समर्थन में वोट, बताया घर वापसी
क्या है खबर?
कर्नाटक में सफलता के बाद मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार पर निशाना साधे बैठी भारतीय जनता पार्टी को तब बड़ा झटका लगा जब उसके 2 विधायकों ने पार्टी लाइन से अलग जाकर सरकार के एक बिल के समर्थन में वोट कर दिया।
यही नहीं, पार्टी के खिलाफ वोट देने के बाद इन दोनों विधायकों ने इसे 'घर वापसी' बताया।
बता दें कि ये दोनों विधायक भाजपा में शामिल होने से पहले कांग्रेस के सदस्य थे।
वोटिंग
बिल के समर्थन में पड़े 122 वोट
राज्य की कांग्रेस सरकार ने विधानसभा में अधिवक्ता संरक्षण बिल पेश किया था, जिसकी मांग वकील लंबे समय से कर रहे हैं।
इस बिल का मसौदा 15 साल पहले ही तैयार हो गया था, लेकिन शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने कभी भी इसे विधानसभा में पेश नहीं किया।
बुधवार को जब बिल पर वोटिंग हुई तो इसके समर्थन में 122 वोट पड़े थे, जबकि सरकार के समर्थन वाले विधायकों की संख्या 120 है।
भाजपा विधायक
पार्टी लाइन के खिलाफ इन भाजपा विधायकों ने की थी वोटिंग
शरद कौल और नारायण त्रिपाठी वो दो भाजपा विधायक रहे जिन्होंने बिल के समर्थन में वोट दिया।
भाजपा ने अपने विधायकों को कोई व्हिप तो जारी नहीं किया था, लेकिन उसके विधायकों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया था।
इसका मतलब इन दोनों विधायकों ने पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बिल के समर्थन में वोट दिया।
वोटिंग के तुरंत बाद राजनीतिक हलचल तेज हो गई और तमाम कयास लगाए जाने लगे।
घर वापसी
विधायकों ने बताया घर वापसी
विधानसभा की कार्यवाही समाप्त होने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए दोनों भाजपा विधायकों ने इसे अपनी घर वापसी बताया।
त्रिपाठी ने इस दौरान बताया कि कैसे भाजपा के अंदर उनके खिलाफ साजिशें हुईं।
शिवराज सिंह चौहान सरकार पर केवल घोषणाएं करने, लेकिन उन्हें पूरा न करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "तत्कालीन भाजपा सरकार के दौरान केवल आश्वासन दिए गए लेकिन मेरे विधानसभा क्षेत्र मैहर में कोई विकास कार्य नहीं हुआ।"
राजनीतिक करियर
त्रिपाठी का पार्टी बदलते रहने का इतिहास
नारायण त्रिपाठी मैहार सीट से 4 बार विधायक रह चुके हैं और सबसे पहले 2003 में समाजवादी पार्टी की टिकट पर जीत कर वह विधानसभा पहुंचे थे।
बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 2013 में उसकी टिकट पर चुनाव जीते।
इसके बाद 2015 में फिर से खेमा बदलते हुए वह भाजपा में शामिल हो गए।
भाजपा की टिकट पर ही उन्होंने पहले 2016 उपचुनाव और फिर 2018 विधानसभा चुनाव में मैहार से जीत दर्ज की।
दल बदल
अक्टूबर में कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हुए थे कौल
वहीं, बेओहरी सीट से भाजपा विधायक शरद कौल भी कांग्रेस के सदस्य रह चुके हैं।
उनके पिता जुगुल कौल कांग्रेस नेता थे और वह खुद कांग्रेस की टिकट पर शहडोल जिला पंचायत के सदस्य रह चुके हैं। वह पिछले साल अक्टूबर में कांग्रेस छो़ड़कर भाजपा में शामिल हुए थे।
NDTV की रिपोर्ट के मुताबिक, कांग्रेस के सूत्रों को कहना है कि भाजपा के राज्य की सत्ता से बाहर होने के बाद से विधायक उनके संपर्क में थे।
बयान
सरकार के मंत्रियों ने कहा, और भी भाजपा विधायक हैं संपर्क में
भाजपा विधायकों के बाद कमल नाथ सरकार के सदस्य उत्साहित हैं। सराकर में मंत्री प्रदीप जयसवाल और पीसी शर्मा ने दावा किया कि भाजपा के कुछ और विधायक भी कमल नाथ के संपर्क में हैं और बाउंड्री पर बैठे हैं।
तकरार
भाजपा नेता ने कहा था, ऊपर से आदेश आया तो 24 घंटे में गिर जाएगी सरकार
इस घटना से कुछ देर पहले ही विधानसभा में कमल नाथ और नेता विपक्ष गोपाल भार्गव में तकरार देखने को मिली थी।
कर्नाटक सरकार गिरने से उत्साहित भार्गव ने कहा था, "हमारे ऊपर वाले नंबर 1 और नंबर 2 का आदेश हुआ तो 24 घंटे भी आपकी सरकार नहीं चलेगी।"
जवाब में कमल नाथ ने कहा था, "आपके ऊपर वाले नंबर 1 और 2 समझदार हैं, इसलिए आदेश नहीं दे रहे हैं। आप चाहें तो अविश्वास प्रस्ताव ले आएं।"