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उपसभापति से 'बुरा' व्यवहार करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में राज्यसभा चेयरमैन

उपसभापति से 'बुरा' व्यवहार करने वाले सांसदों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी में राज्यसभा चेयरमैन

Sep 20, 2020
07:25 pm

क्या है खबर?

राज्यसभा चेयरमैन वैंकेया नायडू उन सांसदों के खिलाफ कार्रवाई करने का विचार कर रहे है, जिन्होंने उपसभापति हरिवंश के साथ 'बुरा' व्यवहार किया। प्रस्ताव की बारिकियों पर काम किया जा रहा है। वरिष्ठ मंत्रियों ने उपसभापति के साथ नायडू से मिलकर उन्हें इस पूरे मामले की जानकारी दी थी। यह फैसला कांग्रेस सांसद अहमद पटेल के उस बयान के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि 12 विपक्षी पार्टियों ने हरिवंश के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाई हैं।

बयान

उपसभापति के रवैये ने लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया- पटेल

अविश्वास प्रस्ताव पटेल ने कहा कि राज्यसभा उपसभापति को लोकतांत्रिक परंपराओं की रक्षा करनी चाहिए, लेकिन उनके रवैये ने आज इन परंपराओं और प्रक्रियाओं को नुकसान पहुंचाया है। इसे देखते हुए उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का फैसला किया गया है।

पृष्ठभूमि

क्या है मामला?

रविवार को राज्यसभा में कृषि विधेयक पेश किए गए। चर्चा के दौरान विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया। कांग्रेस चाहती थी कि इस विधेयक पर रविवार को सदन के निर्धारित समय में चर्चा हो। इसी दौरान कुछ सदस्यों ने वेल में आकर नारेबाजी शुरू कर दी और कुछ आसन के पास पहुंच गए और रूलबुक फाड़ने की कोशिश की। इसी खींचतान में उपसभापति का माइक भी टूट गया। विपक्ष का आरोप है कि उपसभापति ने पद की गरिमा नहीं रखी।

बैठक

उप राष्ट्रपति के आवास पर हुई उच्च स्तरीय बैठक

हंगामे के बीच ध्वनि मत से दो कृषि विधेयक पारित हो गए। हंगामे को देखते हुए राज्यसभा को स्थगित कर दिया गया, जिसके बाद उपसभापति हरिवंश, केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल और संसदीय कार्यों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। बैठक में संसद के ऊपरी सदन में विपक्षी सांसदों के आचरण के बारे में चर्चा की गई। इस पूरे मामले की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी को भी दी गई है।

ट्विटर पोस्ट

करोड़ों किसानों को सशक्त करेंगे ये विधेयक- प्रधानमंत्री

राज्यसभा

ये दो विधेयक हुए हैं पारित

आज जो दो विधेयक राज्यसभा से पारित हुए वे कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक और मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौता विधेयक हैं। इनमें अनुबंध खेती और सरकारी मंडियों के बाहर व्यापारिक इलाके बनाने के प्रावधान किए गए हैं। दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं और अब इन्हें अंतिम मंजूरी के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के पास जाएगा। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून बन जाएंगे।

राज्यसभा

इन पार्टियों ने किया विधेयकों का विरोध

बहस के दौरान कांग्रेस ने इन विधेयकों को किसानों का डेथ वारंट बताया, वहीं आम आदमी पार्टी (AAP) ने इसे काला कानून बताया। सपा सांसद रामगोपाल यादव ने भी विधेयकों को किसानों का डेथ वारंट बताते हुए कहा कि सरकार नहीं चाहती कि विधेयकों पर बहस हो। DMK सांसद टीएसके एलंगेवान ने कहा, "देश की GDP में 20 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले किसान इन विधेयकों के बाद गुलाम बन जाएंगे।" राष्ट्रीय जनता दल ने भी बिल का विरोध किया।