झारखंड: क्या अयोग्य घोषित होंगे मुख्यंमत्री हेमंत सोरेन? चुनाव आयोग ने राज्यपाल को भेजी रिपोर्ट
क्या है खबर?
महाराष्ट्र और बिहार के बाद अब झारखंड की सियासत पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं।
वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कुर्सी जा सकती है और उन्हें अयोग्य भी घोषित किया जा सकता है। खबर है कि लाभ के पद के मामले में चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री सोरेन को अयोग्य घोषित करने के लिए राज्यपाल रमेश बैस को रिपोर्ट भेज दी है।
हालांकि, मुख्यमंत्री सोरेन ने इस मामले में कहा है कि उन्हें इसकी कोई सूचना नहीं है।
रिपोर्ट
चुनाव आयोग ने क्या भेजी है रिपोर्ट?
NDTV के अनुसार, ऐसी खबरें हैं कि झारखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी खतरे में है। चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ राज्यपाल रमेश बैस को रिपोर्ट भेजी है। यह रिपोर्ट उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने के मुद्दे पर है। हाालांकि, रिपोर्ट में क्या है अभी यह साफ नहीं है।
इन खबरों के बीच राज्यपाल बैस भी दिल्ली से राजधानी रांची पहुंचे गए हैं।
ऐसे में चुनाव आयोग की ओर से उन्हें रिपोर्ट भेजे जाने की खबरों को बड़ा बल मिला है।
बयान
भाजपा नेता और सांसदों ने बनाई होगी रिपोर्ट- सोरेन
इस पूरे मामले पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है, "मुझे इस बात की सूचना नहीं है कि चुनाव आयोग ने राज्य के गवर्नर से मेरी अयोग्यता की सिफारिश की है। ऐसा लगता है कि भाजपा नेता, सांसद और उनके कठपुतली पत्रकारों ने यह रिपोर्ट तैयार की होगी। नहीं तो यह पूरी तरह से सील्ड होती।"
उन्होंने आगे कहा, "संवैधानिक संस्थाओं और एजेंसियों को भाजपा दफ्तर ने टेकओवर कर लिया है। भारतीय लोकतंत्र में ऐसा कभी नहीं देखा गया।"
कॉन्फ्रेंस
शाम 4:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे सोरेन
इन घटनाओं के बीच मुख्यमंत्री सोरेन ने शाम 4:30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई है। इसमें वह मामले पर अपना पक्ष रखेंगे।
इधर, कांग्रेस विधायक दल के नेता और मंत्री आलमगीर आलम ने कहा, "हम लोग एक साथ हैं। जो कुछ भी जानकारी आ रही है, मीडिया के माध्यम से आ रही है। राजभवन को भेजी रिपोर्ट में क्या लिखा, इसकी पुष्टि अभी तक भी नहीं हुई है।"
इसी तरह झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) ने भी विधायकों की बैठक बुलाई है।
बयान
सोरेन को मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ना चाहिए- दुबे
दूसरी ओर भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने इस मामले में कहा, "मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नैतिक आधार पर मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ना चाहिए। विधानसभा भंग की जाए और सभी 81 विधानसभा क्षेत्रों में मध्यावधि चुनाव चुनाव कराए जाने चाहिए।"
पृष्ठभूमि
सोरेन के खिलाफ क्या है लाभ के पद का मामला?
मुख्यमंत्री सोरेन के खिलाफ खनन मामले में जांच जारी है। यह मामला खुद के नाम पर खनन पट्टा आवंटन कराने और पद का दुरुपयोग करने से जुड़ा है।
इसको लेकर 10 फरवरी को भाजपा के प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से मुलाकात कर मुख्यमंत्री सोरेन की सदस्यता रद्द करने कि मांग की थी।
भाजपा का आरोप है कि सोरेन ने पद पर रहते हुए अनगड़ा में खनन पट्टा लिया है। यह लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 9A का उल्लंघन है।
परिणाम
राज्यपाल ने चुनाव आयोग को भेजी थी शिकायत
राज्यपाल ने शिकायत चुनाव आयोग को भेजी थी। उसके बाद चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर सोरेन से इस मामले में जवाब मांगा था।
लगभग छह महीने की सुनवाई के बाद आयोग ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना निर्णय सुरक्षित रख लिया था। अब आयोग का निर्णय किसी भी समय सामने आ सकता है।
यदि आयोग ने उनकी सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है तो राज्यपाल को उसे मानना होगा, क्योंकि वह इसके लिए बाध्य है।
सवाल
सदस्यता गई तो आगे क्या होगा?
यदि मुख्यमंत्री सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो उन्हें इस्तीफा देकर फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ लेनी होगी। इसके बाद 6 महीने में दोबारा विधानसभा चुनाव जीतना होगा।
अगर चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य घोषित किया जाता है तो उन्हें मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना होगा। ऐसे में वो परिवार या पार्टी से किसी अन्य को कमान सौंप सकते हैं।
इसी तरह वह सदस्यता रद्द होने पर हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में भी अपील कर सकते हैं।
स्थिति
झारखंड विधानसभा में क्या है राजनीतिक दलों की स्थिति?
81 सदस्यीय झारखंड विधानसभा में किसी भी दल को बहुमत के लिए 41 सीटों की जरूरत होती है।
वर्तमान की JMM-कांग्रेस सरकार के पास कुल 50 सीटें हैं। इनमें JMM के पास 30, कांग्रेस 18, CPI (ML) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के पास एक-एक सीट हैं।
इसी तरह विपक्ष की भाजपा के पास 26, AJSU और निर्दलीयों की दो-दो सीटें हैं। ऐसे में यदि सोरेन की सदस्यता रद्द होती है तो भी सरकार बनी रहेगी।