अब चुनाव प्रचार पर ज्यादा पैसे लगा सकेंगे उम्मीदवार, खर्च सीमा बढ़ी
चुनाव आयोग ने उम्मीदवारों की खर्च की सीमा बढ़ा दी है। पहले जहां लोकसभा चुनाव में एक प्रत्याशी 70 लाख रुपये खर्च सकता था, वहीं अब यह सीमा बढ़ाकर 95 लाख रुपये कर दी गई है। इसी तरह विधानसभा के उम्मीदवार के खर्च की सीमा 28 लाख से बढ़ाकर 40 लाख रुपये की गई है। यह फैसला ऐसे समय आया है, जब आगामी कुछ महीनों में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।
कई राज्यों में 54 लाख से बढ़कर 75 लाख हुई खर्च सीमा
इसके अलावा जिन राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश में लोकसभा उम्मीदवारों की खर्च सीमा 54 लाख थी उसे बढ़ाकर 75 लाख कर दिया गया है। केंद्र शासित प्रदेशों की बात करें तो दिल्ली में लोकसभा उम्मीदवार अब चुनावों में 95 लाख और विधानसभा उम्मीदवार 40 लाख, पुदुचेरी में लोकसभा उम्मीदवार 75 लाख और विधानसभा उम्मीदवार 28 लाख और जम्मू-कश्मीर में लोकसभा उम्मीदवार 95 लाख और विधानसभा उम्मीदवार 40 लाख रुपये खर्च कर सकेंगे।
इन राज्यों के उम्मीदवारों को सबसे पहले मिलेगा लाभ
चुनाव आयोग ने कहा कि बड़े राज्यों में विधानसभा उम्मीदवारों के लिए खर्च की सीमा 28 लाख से 40 लाख की गई है। वहीं छोटे राज्यों के उम्मीदवार अब 20 लाख की जगह 28 लाख रुपये तक खर्च सकेंगे। चुनावी खर्च की बढ़ी सीमा का फायदा सबसे पहले उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को मिलेगा। माना जा रहा है कि जल्द ही इन राज्यों में चुनाव की तारीख का ऐलान हो सकता है।
आखिरी बार 2014 में हुआ था संशोधन
चुनावी खर्च की सीमा में आखिरी बार बड़ा संशोधन 2014 में किया गया था। हालांकि, 2020 में इसमें 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी। इसी के साथ आयोग ने एक समिति बनाई, जिसे लागत और दूसरे मुद्दों का अध्ययन कर इससे जुड़ी सिफारिशें सौंपनी थीं।
कैसे लिया गया फैसला?
चुनाव आयोग ने चुनावी खर्च की सीमा और दूसरे मुद्दों की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया था। इस समिति ने राजनीतिक दलों, मुख्य निर्वाचन अधिकारियों और चुनावी पर्यवेक्षकों से बातचीत के बाद अपनी सिफारिशें आयोग को सौंपी। समिति ने पाया कि 2014 के बाद से मतदाताओं की संख्या और महंगाई में इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि चुनाव प्रचार के बदलते तरीकों पर समिति ने विचार-विमर्श किया था।
राजनीतिक दलों ने की थी मांग
आयोग ने अपने बयान में बताया कि राजनीतिक दलों की मांग, मतदाताओं की संख्या में बढ़ोतरी और महंगाई बढ़ने के कारण समिति ने चुनावी खर्च की सीमा बढ़ाने की सिफारिश की थी, जिसे स्वीकार कर यह फैसला लिया गया है। आयोग ने कहा कि समिति ने पाया कि 2014 में मतदाताओं की संख्या 83.6 करोड़ थी, जो 2021 में 12 प्रतिशत बढ़कर 93.6 करोड़ हो गई है। इसी तरह लागत मुद्रास्फीति सूचकांक में भी 32 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।