झारखंड के स्कूली छात्रों को 6 महीने के अंदर मिलेंगे जाति प्रमाण पत्र- मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
झारखंड में विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने जाति प्रमाण पत्र को लेकर बड़ा ऐलान किया है। सोरेन ने कहा कि उनके नेतृत्व वाली सरकार का दो वर्ष का कार्यकाल 29 दिसंबर को पूरा होने के तत्काल बाद सरकारी और निजी स्कूलों में ही प्रमाण पत्र बनवाए जा सकेंगे और सभी कक्षा के छात्र जाति प्रमाण पत्र बना सकेंगे। उन्होंने यह बात विधानसभा सत्र के दौरान भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा को जवाब देते हुए कही।
भाजपा विधायक ने विधानसभा में उठाया मुद्दा
मुंडा द्वारा प्रश्नकाल के दौरान छात्रों को जाति प्रमाण पत्र मिलने में होने वाली कठिनाइयों का मामला उठाते हुए उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आने वालों के लिए स्व-घोषणा पत्र और स्थानीय लोगों के लिए नहीं, ये गलत है। इस पर जवाब देते हुए सोरेन ने कहा कि उनकी सरकार इसी तरह की समस्याओं के हल के लिए 'आपके द्वार' कार्यक्रम चला रही है, जो उनकी सरकार के दो वर्ष के कार्यकाल के साथ पूरा हो जायेगा।
हमारी सरकार पाकिस्तानी या बांग्लादेशी लोगों के लिए काम नहीं करती- सोरेन
सोरेन ने विधानसभा में कहा, "हमारी सरकार पाकिस्तानी या बांग्लादेशी लोगों के लिए काम नहीं करती। यह आम जनता की समस्याओं को हल करने के लिए काम करती है। अतः आप निश्चिन्त रहें, किसी भी छात्र को जाति प्रमाण पत्र के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।" इसके साथ ही उन्होंने साफ किया कि जाति प्रमाण पत्र बनवाने की सुविधा सिर्फ 8वीं या 9वीं कक्षा के छात्रों के लिए नहीं होगी, बल्कि सभी कक्षा के छात्रों के लिए होगी।
झारखंड सरकार के फैसले की हो रही सराहना
ABP न्यूज के अनुसार झारखंड सरकार के इस फैसले की सभी दलों ने सराहना की है। इसके साथ ही छात्रों ने भी मुख्यमंत्री के इस बयान पर खुशी जताई है। बता दें कि इससे पहले छात्रों को तमाम लोगों से जाति प्रमाण पत्र के आवेदन को सत्यापित करवाना होता था। उसके बाद भी प्रमाण पत्र हासिल करने के लिए तमाम अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते थे। अब इस नई पहल से छात्रों और उनके अभिभावकों की भागदौड़ खत्म हो जाएगी।
ओडिशा सरकार ने 2017 में शुरू की थी यह प्रथा
झारखंड से पहले ओडिशा ने नवंबर 2017 में बच्चों को अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग प्रमाण पत्र जारी करने वाले स्कूलों की प्रथा शुरू की थी। हालांकि, इस प्रक्रिया को कोरोना काल में बंद कर दिया गया और दोबारा ये शुरू नहीं हुई है। मालूम हो कि बाकी राज्यों में जाति प्रमाण पत्र जिलाधिकारियों, प्रखंड विकास अधिकारियों, तहसीलदारों और अन्य नामित राजस्व अधिकारियों के कार्यालयों की ओर से जारी किए जाते हैं।