महाराष्ट्र: संजय राउत और एकनाथ खड़से को 'असामाजिक तत्व' मान पुलिस ने टैप किए थे फोन
महाराष्ट्र की राजनीति में फोन टैपिंग मामला नया भूचाल ला सकता है। दरअसल, बुधवार को मुंबई पुलिस ने बताया कि 2019 में शिवसेना सांसद संजय राउत और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता एकनाथ खड़से के फोन टैप किए गए थे। स्टेट इंटेलीजेंस डिपार्टमेंट (SID) की तरफ से भेजे गए 'असामाजिक तत्वों' की सूची में इन दोनों नेताओं को नाम रखा गया था। अतिरिक्त मुख्य सचिव (ACS) गृह से मंजूरी मिलने के बाद इन नेताओं के फोन टैप हुए।
60 दिनों तक टैप हुआ था राउत का फोन
मुंबई पुलिस ने बताया कि जांच के दौरान पाया गया कि राउत का फोन 60 और खड़से का फोन 67 दिनों तक टैप किया गया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, फोन टैपिंग के लिए SID की तरफ से जो सूची भेजी गई थी, उनमें रावत और खड़से के फोन नंबरों के सामने किसी और के नाम लिखे हुए थे ताकि गड़बड़ी को छिपाया जा सके। पुलिस ने इस मामले में तत्कालीन ACS एस कुमार का बयान भी दर्ज किया है।
पुलिस ने मानी चूक
मुंबई पुलिस ने कहा कि असामाजिक तत्वों मानकर इन दोनों नेताओं के फोन टैप करती रही। इस मामले में पुलिस ने अपनी चूक भी स्वीकार की है। जानकारी के अनुसार, 2019 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद जब शिवसेना, कांग्रेस और NCP मिलकर सरकार बनाने के लिए बातचीत कर रही थीं, तब इन नेताओं के फोन टैप किए गए थे। पहले भी इस मामले को लेकर कई बार हल्ला मच चुका है।
रश्मि शुक्ला के खिलाफ जारी है जांच
एक अधिकारी ने बताया कि 2019 में राउत का फोन दो बार टैप किया गया था और उस वक्त स्टेट इंटेलीजेंस ब्यूरो की कमान रश्मि शुक्ला के पास थीं। बता दें कि रश्मि शुक्ला IPS अधिकारी हैं और उनके खिलाफ अवैध तरीके से फोन टैप करने के आरोप में मामला दर्ज है और उनके खिलाफ जांच चल रही है। बीते हफ्ते ही राज्य पुलिस ने इस मामले में गवाह के तौर पर संजय राउत का बयान दर्ज किया था।
राउत ने शुक्ला पर लगाया आरोप
मुंबई पुलिस की तरफ से यह जानकारी सामने आने के बाद संजय राउत पर रश्मि शुक्ला पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रश्मि शुक्ला ने उन्हें गलत ढंग से असामाजिक तत्वों के रूप में चिन्हित किया, जिस कारण निजता भंग हुई है।
विधानसभा चुनाव के बाद टूटे थे शिवसेना और भाजपा के रिश्ते
याद दिला दें कि 2019 में शिवसेना और भाजपा ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन नतीजे आने के बाद दोनों पार्टियों के रास्ते अलग हो गए। भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी थी, लेकिन शिवसेना के अलग होने के बाद वह अपने दम पर सरकार नहीं बना पाई। बाद में शिवसेना ने NCP और कांग्रेस का साथ लिया और उद्धव ठाकरे पहली बार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने।