कर्नाटक: हिजाब विवाद में याचिका दाखिल करने वाली छात्रा के भाई पर हमला, अस्पताल में भर्ती
हिजाब विवाद में कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाली उडुपी की छात्रा हाजरा शिफा ने दक्षिणपंथी लोगों की भीड़ के उनके भाई पर हमला करने का दावा किया है। उनके आरोप के अनुसार, उनके भाई पर उडुपी के एक होटल में हमला किया गया। मीडिया रिपोर्ट्स में ये होटल शिफा के पिता का बताया जा रहा है। शिफा ने कर्नाटक पुलिस से मामले में कार्रवाई करने की मांग की है।
रात लगभग 9 बजे किया गया शिफा के भाई पर हमला
शिफा के भाई सैफ पर सोमवार रात लगभग 9 बजे मालपे बंदरगाह स्थित बिस्मिल्लाह होटल में हमला किया गया। शिफा ने ट्वीट कर बताया, 'मेरे भाई पर एक भीड़ ने बेरहमी से हमला किया। सिर्फ इसलिए क्योंकि मैं अभी भी अपने हिजाब के लिए खड़ी हूं जो मेरा अधिकार है। हमारी संपत्ति को भी नुकसान पहुंचाया गया... क्या मैं अपने अधिकार नहीं मांग सकती? अगला शिकार कौन होगा? मैं संघ परिवार के गुंडों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती हूं।'
सैफ का अस्पताल में चल रहा इलाज
सैफ की उम्र 20 साल बताई जा रही है और वो अभी अस्पताल में भर्ती है। अस्पताल से आई तस्वीरों में सैफ को एक बिस्तर पर लेते हुए देखा जा सकता है और वो होश में है।
बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या के कारण बना हुआ है तनाव
बता दें कि शिफा के भाई पर ये हमला ऐसे समय पर हुआ है जब बजरंग दल के कार्यकर्ता की हत्या के कारण कर्नाटक में पहले से ही तनाव बना हुआ है। 23 वर्षीय कार्यकर्ता हर्ष की रविवार रात लगभग 9 बजे शिवमोगा में चाकुओं से हमला करके हत्या कर दी थी। कर्नाटक सरकार के एक मंत्री समेत कई लोगों ने इस हत्या को हिजाब विवाद से जोड़ा है, हालांकि राज्य के गृह मंत्री ने इससे इनकार किया है।
क्या है कर्नाटक में चल रहा हिजाब विवाद?
कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरूआत 28 दिसंबर को उडुपी के पीयू कालेज में छह छात्राओं को हिजाब पहनने पर कक्षाओं में प्रवेश न देने इसे हुई थी। इसके बाद छात्राओं ने प्रदर्शन शुरू कर दिया और हाई कोर्ट में याचिका दायर कर दी। कई छात्र मुस्लिम छात्राओं के विरोध में उतर आए और विवाद उडुपी से दूसरे जिलों में भी फैल गया। कर्नाटक हाई कोर्ट पिछले कई दिन से मामले में सुनवाई कर रहा है।
धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद न करने का अंतरिम आदेश दे चुका है कोर्ट
हाई कोर्ट अपनी सुनवाई की शुरूआत में एक अंतरिम आदेश दे चुका है जिसमें कहा गया था कि उसका फैसला आने तक छात्र स्कूल-कॉलेज में धार्मिक ड्रेस पहनने की जिद न करें। कोर्ट के इस आदेश के कारण मुस्लिम छात्राओं और यहां तक कि शिक्षकों को भी स्कूल-कॉलेज में हिजाब के साथ घुसने नहीं दिया जा रहा है और गेट पर ही उनके हिजाब उतरवा दिए जा रहे हैं। कई लोगों ने इसे महिला सम्मान के खिलाफ बताया है।