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जम्मू-कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला को सात महीने बाद मिलेगी रिहाई, सरकार ने जारी किए आदेश

जम्मू-कश्मीर: फारूक अब्दुल्ला को सात महीने बाद मिलेगी रिहाई, सरकार ने जारी किए आदेश

Mar 13, 2020
02:44 pm

क्या है खबर?

केंद्र सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के दौरान ऐहतियात के तौर पर हिरासत में लिए गए पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला को रिहाई मिलने का रास्ता साफ हो गया है। सरकार ने इसके लिए शुक्रवार को आदेश जारी कर दिए हैं। साथ ही सरकार ने उन पर लगे जन सुरक्षा कानून 1978 (PSA) को भी हटा दिया है। ऐसे में फारूक अब्दुल्ला को आखिरकार सात महीने बाद हिरासत से रिहाई मिल जाएगी।

जानकारी

अब्दुल्ला पर 15 सितंबर को लगाया गया था जन सुरक्षा कानून

आपको बता दें कि 5 अगस्त को हिरासत में लेने के बाद सरकार ने 15 सितंबर को उन पर जन सुरक्षा कानून लगाया था। दिसंबर महीने में उनकी नजरबंदी को 11 मार्च तक के लिए बढ़ा दिया था। वह अपने घर में ही नजरबंद थे।

प्रतिक्रिया

अब्दुल्ला की रिहाई के आदेश जारी होने पर नेताओं ने दी प्रतिक्रिया

सरकार की ओर से फारूक अब्दुल्ला की रिहाई के आदेश जारी करने के बाद पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) सांसद मीर मोहम्मद फयाद ने कहा कि वो अब्दुल्ला की रिहाई का स्वागत करते हैं। उन्होंने हिरासत में चल रहीं महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला को भी जल्द रिहा करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भारत सरकार को अब कश्मीर में राजनीतिक संवाद शुरू करना चाहिए। कश्मीर से राज्यसभा सांसद नाजीर अहमद लवाई ने फैसले का स्वागत किया है।

मांग

इन नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर की थी रिहाई की मांग

जम्मू-कश्मीर में पिछले सात माह से नजरबंदी में चल रहे नेताओं की रिहाई लेकर कई बार मांग उठाई जा चुकी है। पांच दिन पहले भी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) नेता शरद पवार, तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्षा ममता बनर्जी, माकपा प्रमुख सीताराम येचुरी सहित विपक्ष के सभी प्रमुख नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृृहमंत्री अमित शाह को संयुक्त पत्र लिखकर तीनों पूर्व मुख्यमंत्रियों सहित अन्य नेताओं की रिहाई की मांग की थी।

बयान

विपक्षी नेेताओं ने हिरासत को लेकर सरकार पर लगाए थे आरोप

प्रधानमंत्री को पत्र भेजने के दौरान विपक्षी नेताओं ने कहा था कि विविधता में एकता के हमारे विचारों के साथ संविधान हमेशा खड़ा रहा है। लेकिन विरोध की आवाज को न केवल कुचला जा रहा बल्कि आलोचना के स्वरों को बदले की कार्रवाई के जरिये सुनियोजित तरीके से दबाने की कोशिश की जा रही है। सरकार ने बिना किसी आपराधिक रिकॉर्ड के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को सात महीने से हिरासत में ले रखा है, जो सरासर गलत है।

नजरबंदी

सरकार ने 5 अगस्त को लिया था नेताओं को हिरासत में

आपको बता दें कि केंद्र सरकार की ओर से गत 5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था। उसके बाद से ही पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला, महबूबा मुफ्ती और कई अलगावदी नेताओं को हिरासत में ले लिया था। हालांकि प्रशासन की ओर से अब तक करीब 20 नेताओं को छोड़ दिया गया है, लेकिन फारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती आदि की नजरबंदी अभी बरकरार थी। इन नेताओं पर PSA भी लगाया गया था।

याचिका

दो पूर्व मुख्यमंत्रियों पर PSA लगाने के विरोध में दायर हो चुकी है याचिका

आपको बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला पर लगाए गए PSA को लेकर उनकी बहन सारा अब्‍दुल्‍ला पायलट ने गत 10 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर उनकी नजरबंदी को चुनौती दी थी। इसी तरह गत 26 फरवरी को महबूबा मुफ्ती की बेटी इल्तिजा ने भी याचिका दायर कर उनकी नजरबंदी को चुनौती दी थी। दोनो ही मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर सरकार से जवाब मांगा है। इस मामले की अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।