वाहनों को पीछे से टक्कर लगने के कारण होती हैं 40 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाएं- रिपोर्ट
क्या है खबर?
देश में नेशनल हाईवेज पर 40 प्रतिशत भीषण दुर्घटनाएं गाड़ियों के पीछे से टक्कर मारने की वजह से होती है। इन हादसों को कम करने के लिए किये गए एक ऑडिट के अनुसार, इन टक्करों के पीछे की वजह ड्राइवर की थकान और उनका कम नींद लेना होता है।
बता दें कि ऑडिट के लिए महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश में कुल 557 किलोमीटर के रास्ते में चार हाईवे को शामिल किया गया था।
वजह
कई इंजीनियरिंग खामियां भी हैं दुर्घटनाओं की वजह
ऑडिट रिपोर्ट के अनुसार, इन दुर्घटनाओं का कारण हाईवे पर कई इंजीनियरिंग की खामियां जैसे सड़कों के बीच गैप और क्रैश बैरियर्स का ना होना भी है।
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश में इटावा चकेरी और महाराष्ट्र पुणे-सतारा और सतारा कागल सेक्शन की ऑडिट हुई थी, जिसमें आगरा-इटावा सेक्शन में इस तरह की 7,500 इंजीनियरिंग से जुड़ी खामियां पाई गई।
इन सब लापरवाही के कारण देशभर में हर साल हजारों लोगों की जान जाती है।
वजह
तीन सालों में हुई हैं 6,500 से ज्यादा सड़क दुर्घटना
इन चारों सेक्शन में पिछले तीन सालों में 6,500 से ज्यादा सड़क दुर्घटना हुई हैं, जिसमें 1,600 काफी गंभीर थी।
सेवलाइफ फाउंडेशन NGO के ऑडिटर्स ने मेडिकल रिकॉर्ड में पाया कि ज्यादातर दुर्घटना कमर्शियल वाहनों के चालकों की थकान के कारण हुई हैं।
इसके अलावा शराब पीकर गाड़ी चलाना, बिना हेलमेट के चलना, सही प्रकाश का ना होना और तेज रफ्तार में गाड़ी चलाना भी दुर्घटना के अन्य कारण हैं।
जानकारी
दृश्यता कम होने के कारण होते हैं काफी हादसे
उत्तर प्रदेश में हाइवे पर ठंड के मौसम में दृश्यता कम होने के कारण काफी हादसे होते हैं।
आगरा-इटावा सेक्शन में करीब 39 फीसदी मौतें और 32 फीसदी दुर्घटनाएं कोहरे की स्थिति में होती हैं।
वहीं महाराष्ट्र के दोनों हाइवे सेक्शन में 50 से 60 फीसदी घटनाएं दिन में हुई हैं, जिनमें ज्यादातर दोपहिया वाहनों और ट्रक में टक्कर की हैं।
सड़क परिवहन मंत्रालय ऑडिट रिपोर्ट के नतीजों के हिसाब से इन चारों सेक्शन में सुधार की सूची तैयार करेगा।
आंकड़े
क्या कहते हैं आंकड़े?
दुनियाभर में सड़क हादसों के कारण होने वाली कुल मौतों में से 11 फीसदी मौतें केवल भारत में होती है। कोविड-19 लॉकडाउन के बावजूद हर दिन औसतन 328 लोगों ने अपनी जान गंवाई थीं।
सड़क दुर्घटनाओं में तीन साल में 3.92 लाख लोगों की जान गई है। भारत में साल 2020 में लापरवाही के कारण सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मौत के 1.20 लाख मामले दर्ज किए गए, जबकि 2019 में यह आंकड़ा 1.36 लाख और 2018 में 1.35 लाख था।