नीति आयोग गरीबी सूचकांक: बिहार देश का सबसे गरीब तो केरल है सबसे धनवान राज्य
क्या है खबर?
नीति आयोग की ओर से देश के राज्यों में गरीबी और अमीरी के स्तर के आंकलन को लेकर बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI) के तहत किए गए सर्वे की रिपोर्ट शुक्रवार को सामने आ गई है।
इसमें बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश सबसे गरीब राज्यों के रूप में उभरकर सामने आएं हैं। इन राज्यों में लोगों का शैक्षिक, शारीरिक और जीवन स्तर कमजोर मिला है।
इसी तरह केरल, गोवा और सिक्किम सबसे समृद्ध राज्यों की श्रेणी में शुमार हुए हैं।
रिपोर्ट
बिहार की 51.91 प्रतिशत आबादी है गरीब
NDTV के अनुसार, MPI रिपोर्ट में कहा गया है कि बिहार में सबसे अधिक 51.91 प्रतिशत आबादी गरीब है।
इसके बाद झारखंड में 42.16 प्रतिशत आबादी और उत्तर प्रदेश की 37.79 प्रतिशत आबादी गरीबी के स्तर का जीवन जी रही है।
इसी तरह मध्य प्रदेश 36.65 प्रतिशत गरीब जनता के साथ को और मेघायल 32.67 प्रतिशत गरीब आबारी के साथ पांचवें पायदान पर रहा है। यह इन राज्यों के लिए बेहद चिंता का विषय है।
समृद्ध
केरल की महज 0.71 प्रतिशत आबादी ही है गरीब
MPI रिपोर्ट के अनुसार, केरल देश के सबसे समृद्ध राज्य के रूप में उभरा है। यहां की महज 0.71 प्रतिशत आबादी ही गरीब है।
इसी तरह गोवा की 3.76 प्रतिशत, सिक्किम की 3.82 प्रतिशत, तमिलनाडु की 4.89 प्रतिशत और पंजाब की 5.59 प्रतिशत आबादी गरीब है।
भारत का राष्ट्रीय MPI का मानक, ऑक्सफोर्ड पॉवर्टी एंड ह्यूमन डेवलपमेंट इनिशिएटिव (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा विकसित स्वीकृत और मजबूत प्रणाली का उपयोग करता है।
आयाम
भारत में MPI के हैं तीन प्रमुख आयाम
रिपोर्ट के अनुसार, भारत में MPI के तीन समान आयाम है। इसमें स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर शामिल है।
इनमें पोषण, बाल और किशोर मृत्यु दर, प्रसवपूर्व देखभाल, स्कूली शिक्षा के वर्ष, स्कूल में उपस्थिति, खाना पकाने के ईंधन, स्वच्छता, पेयजल, बिजली, आवास, संपत्ति और बैंक खाते जैसे 12 संकेतकों शामिल हैं।
2015 में 193 देशों द्वारा अपनाए गए सतत विकास लक्ष्यों (SGD) ढांचे ने विकास की प्रगति को मापने के लिए विकास नीतियों को फिर से परिभाषित किया है।
बयान
भारत का MPI सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण- कुमार
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने अपने प्रस्ताव में कहा कि भारत के MPI का विकसित होना सार्वजनिक नीति उपकरण स्थापित करने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान है। यह बहुआयामी गरीबी की निगरानी करता है और साक्ष्य-आधारित और केंद्रित हस्तक्षेपों के बारे में सूचित करता है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि कोई भी पीछे रह गया है।
उन्होंने कहा कि भारत की पहली MPI रिपोर्ट राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) की 2015-16 की संदर्भ अवधि पर आधारित है।