संशोधित आतंकरोधी कानून पर सुनवाई करेगी सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार को नोटिस जारी

सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित आंतकरोधी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। इस कानून के तहत सरकार किसी को आतंकवादी घोषित कर सकती है। हाल ही में केंद्र सरकार ने इस कानून के तहत दाउद इब्राहिम, मसूद अजहर, हाफिज सईद और उसके करीबी लखवी को आंतकी घोषित किया था। इस साल जुलाई में सरकार ने इस विधेयक को लोकसभा से पारित कराया था। आइये, यह पूरी खबर जानते हैं।
सजल अवस्थी और एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) नामक गैर सरकारी संगठन ने अनलॉफुल एक्टिविटी (प्रिवेंशन) एमेंडमेंट एक्ट (UAPA) को चुनौती दी थी। इनकी दलील है यह कानून व्यक्ति मूल अधिकारों और प्रतिष्ठा के अधिकार का उल्लंघन करता है। याचिका में कहा गया कि यह विरोध के स्वर को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इस पर सुनवाई करते हुए CJI रंजन गोगोई और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है।
कानून में किए संशोधन से पहले केंद्र सरकार को ऐसे किसी समूह को आतंकी समूह घोषित करने का अधिकार था, जो आंतकी गतिविधि को अंजाम देेते या इसके हिस्सेदार होते। इसके अलावा सरकार आतंक को बढ़ावा देने और इसमें किसी भी प्रकार से शामिल संगठनों को आतंकी संगठन घोषित कर सकती थी। संशोधन के बाद अब सरकार संगठन के साथ-साथ ऐसे व्यक्ति को भी आतंकी घोषित कर सकती है, जो किसी भी तरह आतंकी गतिविधियों में शामिल है।
जुलाई में लोकसभा से पास होने के बाद अगस्त में राज्यसभा ने इस विधेयक को पास किया। इसके तहत केंद्र सरकार ऐसे किसी भी संगठन को आतंकी संगठन घोषित कर सकती है- अगर उसकी किसी भी प्रकार के आतंकी मामलों में सहभागिता पाई जाती है। अगर वह आतंकवाद के किसी कृत्य को अंजाम देता है या इसमें भाग लेता है अगर वह आतंकवाद को बढ़ावा देता हैया वह किसी अन्य तरीके से आतंकी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है।
पहले किसी जांच अधिकारी को आतंक से जुड़े मामलों में प्रॉपर्टी सीज करने के लिए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) की अनुमति की जरूरत होती थी। संशोधित कानून में प्रावधान किया गया है कि अगर ऐसे किसी मामले की जांच NIA का जांच अधिकारी करता है तो उसे संपत्ति जब्त करने के लिए राज्य के DGP की अनुमति नहीं लेनी होगी। वह केवल NIA के महानिदेशक की अनुमति से ऐसा कर सकेगा।
पहले ऐसे किसी भी मामले की जांच DSP या ACP रैंक के अधिकारी ही कर सकते थे, लेकिन संशोधित कानून में NIA के अधिकारियों को ज्यादा अधिकार दिए गए हैं। अब ऐसे किसी भी मामले की जांच इंस्पेक्टर या उससे ऊपर की रैंक के अफसर कर सकते हैं। विपक्ष का आरोप है कि यह कानून NIA को असीमित अधिकार देता है। इससे NIA शक के आधार पर किसी को भी उठा सकती है।
केंद्र सरकार ने नए गैर-कानूनी गतिविधि रोकथाम कानून (UAPA) के तहत दाउद इब्राहिम, हाफिज सईद, जाकिर-उर-रहमान लखवी और मसूद अजहर को आतंकी घोषित किया था। इनके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया गया है।