हिंदी विवाद के बीच शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने एमके स्टालिन को पत्र लिखा, क्या कहा?
क्या है खबर?
तमिलनाडु और केंद्र सरकार के बीच हिंदी भाषा को लेकर चल रहे विवाद के बीच केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को पत्र लिखा है।
पत्र में उन्होंने लिखा कि किसी भी भाषा को थोपने का सवाल ही नहीं है, लेकिन विदेशी भाषाओं पर अत्यधिक निर्भरता है, छात्रों के भाषाई जड़ों के संपर्क को सीमित करती है।
उन्होंने लिखा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 इसे ठीक करने का प्रयास कर रही है।
पत्र
धर्मेंद्र प्रधान ने क्या लिखा?
एक्स पर साझा पत्र में धर्मेंद्र प्रधान ने लिखा कि नीति भाषाई स्वतंत्रता के सिद्धांत को कायम रखती है और यह सुनिश्चित करती है कि छात्र अपनी पसंद की भाषा में सीखना जारी रखें।
उन्होंने सत्तारूढ़ द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) की राजनीतिक कारणों से शिक्षा नीति का विरोध करने की आलोचना की।
उन्होंने एक्स पर लिखा, 'किसी राज्य द्वारा नीति को अदूरदर्शी दृष्टिकोण से देखना तथा राजनीतिक आख्यानों को बनाए रखने के लिए धमकियों का उपयोग करना अत्यधिक अनुचित है।'
पत्र
स्टालिन के पत्र लिखने पर भी नाराजगी
प्रधान ने अपने पत्र में मुख्यमंत्री स्टालिन के उस पत्र का भी जिक्र किया, जो उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गुरुवार को लिखा था और शिक्षा क्षेत्र की धनराशि रोकने की शिकायत की थी।
स्टालिन ने लिखा था कि केंद्रीय मंत्री हिंदी थोपने के लिए राज्य को ब्लैकमेल कर रहे हैं।
प्रधान ने अपने पत्र में इसका जवाब लिखा कि वह पत्र अच्छे इरादे से नहीं लिखा गया था और राजनीतिक प्रेरणा से भरा हुआ था, उसमें काल्पनिक चिंता थीं।
विवाद
क्या है हिंदी को लेकर विवाद?
दक्षिण के राज्यों में तीन भाषा नीति को लेकर पिछले काफी समय से विवाद है।
यह विवाद तब और बढ़ गया, जब नई शिक्षा नीति लागू हुई, जिसमें हर राज्य के छात्रों को 3 भाषा सीखनी है, जिसमें एक हिंदी शामिल है।
तमिलनाडु में ऐतिहासिक रूप से 'दो-भाषा' नीति रही है। इसका मतलब है कि यहां तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है।
इससे पहले 1930 और 1960 के दशक में यहां बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन हो चुके हैं।
युद्ध
धर्मेंद्र प्रधान के एक बयान से बढ़ी तल्खी
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों के कारण नीति लागू न करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा था कि राज्य को समग्र शिक्षा मिशन के लिए 2,400 करोड़ रुपये की धनराशि तब तक नहीं मिलेगी, जब तक कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह अपना नहीं लेता।
इसका तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने जवाब दिया और कहा कि उनका राज्य भाषा युद्ध के लिए तैयार है।