हिंदी को लेकर विवाद के बीच तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन बोले- भाषा युद्ध को तैयार
क्या है खबर?
तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के पुत्र और राज्य के उपमुख्यमंत्री उदयनिधि स्टालिन ने हिंदी भाषा को लेकर आर-पार की लड़ाई का आह्वान किया है।
उन्होंने केंद्र की त्रिभाषा नीति और हिंदी थोपने को लेकर केंद्र के साथ विवाद पर कहा कि हिंदी को स्वीकार करने वाले राज्य अपनी मातृभाषा खो देते हैं और उनका राज्य 'भाषा युद्ध' के लिए तैयार है।
उदयनिधि ने यह बात चेन्नई में आयोजित द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के नेतृत्व वाली विरोध रैली में कही।
बयान
धर्मेंद्र प्रधान के बयान पर दिया जवाब
उदयनिधि ने केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के तीन भाषा फॉर्मूला स्वीकार करने संबंधी बयान को धमकी बताते हुए कहा, "हम केवल अपने टैक्स के पैसे और अपने अधिकार मांग रहे हैं। हम वह पैसा मांग रहे हैं जो हमारा हक है...धर्मेंद्र प्रधान ने हमें खुलेआम धमकी दी है कि फंड तभी जारी किया जाएगा जब हम तीन-भाषा फॉर्मूला स्वीकार करेंगे, लेकिन हम आपके पिता का पैसा नहीं मांग रहे हैं... हम भीख नहीं मांग रहे हैं।"
धमकी
भाजपा वाले तमिलनाडु को धमका नहीं सकते- उदयनिधि
उदयनिधि ने आगे कहा, "हम अपना उचित हिस्सा मांग रहे हैं और अगर आप (भाजपा) सोचते हैं कि आप हमें धमका सकते हैं... तो तमिलनाडु में ऐसा कभी नहीं होगा। तमिलनाडु के लोग उचित समय पर जवाब देंगे। यह द्रविड़ और पेरियार की भूमि है। पिछली बार जब आपने तमिलों के अधिकारों को छीनने की कोशिश की थी, तो उन्होंने 'गो बैक मोदी' शुरू किया था। यदि आप फिर से कोशिश करते हैं... तो इस बार आपको वापस भेजा जाएगा।"
बयान
धर्मेंद्र प्रधान ने क्या दिया था बयान?
पिछले दिनों उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आयोजित एक कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने तमिलनाडु सरकार पर राजनीतिक हितों के कारण नीति लागू न करने का आरोप लगाया।
उन्होंने कहा था कि राज्य को समग्र शिक्षा मिशन के लिए 2,400 करोड़ रुपये की धनराशि तब तक नहीं मिलेगी, जब तक कि वह राष्ट्रीय शिक्षा नीति को पूरी तरह अपना नहीं लेता।
बता दें, नई शिक्षा नीति के तहत हर राज्य के छात्रों को तीन भाषा सीखनी होगी।
विवाद
क्या है विवाद?
दक्षिण के राज्यों में तीन भाषा नीति को लेकर पिछले काफी समय से विवाद है। यह विवाद तब और बढ़ गया, जब नई शिक्षा नीति लागू हुई, जिसमें हर राज्य के छात्रों को 3 भाषा सीखनी है, जिसमें एक हिंदी शामिल है।
तमिलनाडु में ऐतिहासिक रूप से 'दो-भाषा' नीति रही है। इसका मतलब है कि यहां तमिल और अंग्रेजी पढ़ाई जाती है।
इससे पहले 1930 और 1960 के दशक में यहां बड़े पैमाने पर हिंदी विरोधी आंदोलन हो चुके हैं।