स्मृति ईरानी ने करीबी सहयोगी के पार्थिव शरीर को दिया कंधा, कल रात हुई थी हत्या
उत्तर प्रदेश के अमेठी से नवनिर्वाचित सांसद स्मृति ईरानी ने रविवार को अपने करीबी सहयोगी की शवयात्रा में उनके पार्थिव शरीर को कंधा दिया। स्मृति के लिए जमकर प्रचार करने वाले बरौलिया गांव के पूर्व प्रधान सुरेंद्र सिंह की शनिवार रात को उस समय हत्या कर दी गई थी, जब वह अपने घर के बाहर सो रहे थे। भारतीय जनता पार्टी के स्थानीय नेताओं का मानना है कि यह राजनीति से प्रेरित हत्या है।
दिल्ली से अमेठी आईं स्मृति
सुबह सुरेंद्र की मौत की खबर मिलने के बाद ही स्मृति दिल्ली से अमेठी के लिए निकल गईं थीं। यहां पहुंच कर उन्होंने मृतक के परिजनों से मुलाकात की। इस दौरान स्मृति ने सुरेंद्र की शवयात्रा में उनके पार्थिय शरीर को कंधा भी दिया। ऐसे समय में जब नेता चुनाव जीतने के बाद अपने क्षेत्र का दौरा भी नहीं करते, स्मृति का यह कार्य अमेठी के लोगों को भरोसा दिलाता है कि उन्होंने गलत व्यक्ति को नहीं चुना।
ऐतिहासिक जीत के बाद स्मृति को देना पड़ा करीबी सहयोगी को कंधा
क्या है पूरा मामला?
शनिवार रात को कुछ बाइक सवार सुरेंद्र के घर पहुंचे और घर के बाहर सो रहे सुरेंद्र पर अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरु कर दीं, जिनमें से कुछ उनके चेहरे पर लगीं। हमले के बाद उन्हें लखनऊ के ट्रामा सेंटर ले जाया गया, जहां उन्होंने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। यह घटना गौरीगंज के जिला मुख्यालय से कुल ही किलोमीटर की दूरी पर हुई। पुलिस पुरानी रंजिश और राजनीतिक विवाद दोनों नजरिए से मामले की जांच कर रही है।
प्रचार के दौरान सुरेंद्र ने भाषण भी दिए
बता दें कि सुरेंद्र का प्रभाव आसपास के कई गांवों में था और वह 2014 से ही स्मृति के साथ काम कर रहे थे। अमेठी के भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गेश त्रिपाठी ने बताया कि सुरेंद्र पुराने पार्टी कार्यकर्ता थे, जिन्होंने स्मृति के लोकसभा अभियान में सक्रिय रूप से योगदान दिया। उन्होंने बताया कि प्रचार के दौरान सुरेंद्र ने कई जगह भाषण भी दिए थे। सुरेंद्र अपनी पत्नी रूपमणि और 3 बच्चों को पीछे छोड़ कर गए हैं।
स्मृति ने राहुल को हराकर रचा था इतिहास
बता दें कि गुरुवार को घोषित हुए चुनाव परिणाम में स्मृति ईरानी ने इतिहास रचते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 55,120 वोटों से अमेठी में मात दी थी। अमेठी को गांधी परिवार और कांग्रेस का गढ़ माना जाता था और यह पहली बार था जब किसी गांधी परिवार के सदस्य को यहां से हार का मुंह देखना पड़ा। राहुल से पहले संजय गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी यहां से सांसद रह चुकी हैं।
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