कर्नाटक: दलित सांसद को 'अछूत' बताकर ग्रामीणों ने गांव में आने से रोका, जांच के आदेश
क्या है खबर?
एक तरफ देश चांद की सतह पर झंडा फहराने की कोशिशें कर रहा हैं वहीं दूसरी तरफ छुआछूत जैसी बुराईयां आज भी समाज में बनी हुई है।
कर्नाटक में एक ऐसी शर्मनाक घटना सामने आई हैं, जहां दूसरी जाति का होने की वजह से भाजपा सांसद को गांव मे नहीं आने दिया।
दरअसल, चित्रदूर्ग से सासंद ए नारायणस्वामी अपने लोकसभा का क्षेत्र का दौरा कर रहे थे, तब गोलारहट्टी के ग्रामीणों ने उन्हें अपने गांव में घुसने नहीं दिया।
घटना
अधिकारियों के साथ दौरे पर निकले थे सांसद
यह घटना तुमकूर जिले के पावगाड़ा तालुक की है। दलित समुदाय से संबंध रखने वाले सासंद नारायणस्वामी अधिकारियों और डॉक्टरों के साथ इस इलाके का दौरा कर रहे थे।
इसी दौरान गोलारहट्टी के ग्रामीणों ने उन्हें 'अछूत' बताकर उनके साथ बदसलूकी की।
गोलारहट्टी में अधिकतर लोग गोल्ला समुदाय से संबंध रखते हैं। यह समुदाय अन्य पिछड़ा वर्ग में आता है।
ग्रामीणों ने सांसद को वापस जाने को कहते हुए कहा कि गांव में दलितों के प्रवेश की इजाजत नहीं है।
जांच
SP ने दिए जांच के आदेश
गोला समुदाय के लोगों ने सांसद को कहा कि अनूसूचित जाति का कोई व्यक्ति आज तक उनके गांव में नहीं आया है और न ही इसकी इजाजत है।
ग्रामीणों से बहस के बाद सांसद अपनी गाड़ी में बैठकर निकल गए। मामला सामने आने के बाद पुलिस ने इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
SP ने कहा कि उन्होंने कहा अभी उन लोगों की पहचान नहीं हुई है, जिन्होंने सांसद को गांव में घुसने से रोका था।
घटना
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट से सांसद है नारायणस्वामी
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस लोकसभा सीट पर ए नारायणस्वामी ने कांग्रेस उम्मीदवार को हराकर चुनाव में जीत दर्ज की थी।
इस लोकसभा क्षेत्र की कुल आबादी 21.72 लाख है, जिनमें से 80 फीसदी लोग ग्रामीण और 20 फीसद लोग शहरी क्षेत्र से आते हैं।
जातिगत आधार पर आबादी की बात करें तो इस सीट पर अनुसचित जाति की आबादी कुल का 24 फीसदी और अनुसूचित जनजाति 17 फीसदी है।
पुरानी घटना
पहले भी सामने आई हैं ऐसी घटनाएं
कुछ समय पहले भी कर्नाटक से ही छूआछूत से जुड़ी एक और खबर सामने आई थी। यहां के चमराजानगर जिले के हुग्याम गांव में पिछड़े वर्ग के लोग दलित समुदाय के लोगों को गांव के मंदिरों में नहीं घुसने देते।
यहां तक की दलितों को होटल और नाई की दुकानों में घुसने की इजाजत भी नहीं है।
अगर किसी दलित को होटल का खाना खाना होता है तो उसे घर से बर्तन लेकर आने पड़ते हैं।