योगेंद्र यादव ने किया राजनीतिक पार्टी का ऐलान, 'सीटी' चुनाव चिन्ह के साथ लड़ेगी हरियाणा विधानसभा
राजनीतिक विशेषज्ञ और स्वराज इंडिया के संस्थापक योगेंद्र यादव ने गुरुवार को घोषणा की कि वह अपनी राजनीतिक पार्टी बनाएंगे। पार्टी का चुनाव चिन्ह 'सीटी' होगा। पार्टी ने आगामी हरियाणा विधानसभा चुनाव में राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी। बता दें कि योगेंद्र यादव को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) को जमीन से खड़ा करने और उसके पूरे संगठन का निर्माण करने का श्रेय दिया जाता है।
मुख्यधारा की पार्टियों का विकल्प पेश करेगी स्वराज इंडिया
इस मौके पर योगेंद्र यादव ने कहा कि इसी के साथ देश को एक और राजनीतिक पार्टी मिल गई है और उनकी पार्टी मुख्यधारा की पार्टियों का एक विकल्प पेश करेगी। उन्होंने कहा कि पार्टी इस साल के अंत में हरियाणा में अपना पहला चुनाव लड़ेगी। किसानों की आवाज उठाते रहने वाले योगेंद्र यादव ने कहा कि उनकी पार्टी का ध्यान किसानों के साथ-साथ युवाओं और महिलाओं पर भी रहेगा।
कैसा रहा योगेंद्र यादव का राजनीतिक सफर?
योगेंद्र यादव को देश के सबसे अच्छे राजनीतिक विशेषज्ञों में से एक माना जाता है और देश के गरीब, किसानों और दबे-कुचले लोगों के मुद्दे उठाते रहे हैं। अन्ना आंदोलन से जुड़े रहने के बाद वह AAP में शामिल हुए और केजरीवाल के साथ शीर्ष नेतृत्व में शामिल थे। पूरी पार्टी के संगठन को खड़ा करने में उनका सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने पार्टी का पूरे देश में विस्तार करने को लेकर भी योजना बनाई थी।
AAP से बाहर निकाले जाने के बाद बनाई 'स्वराज इंडिया'
लेकिन 2015 दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत के बाद यादव और केजरीवाल के बीच मतभेद बढ़ गए और उनके साथ प्रशांत भूषण को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया। इसके बाद उन्होंने 2015 में 'स्वराज इंडिया' नाम से अपना संगठन खड़ा किया जो राजनीतिक मुद्दों पर जागरुकता का काम करता है। अब इसे एक राजनीतिक पार्टी का रूप दे दिया गया है, जो अब अपना पहला चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।
क्या असर डाल पाएंगे योगेंद्र यादव?
खुद हरियाणा से आने वाले योगेंद्र यादव की पार्टी हरियाणा चुनाव में क्या असर डाल पाएगी, ये देखना दिलचस्प होगा। राज्य में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच है। स्वराज इंडिया AAP को जरूर कुछ नुकसान पहुंचा सकती है। लेकिन यादव के चरित्र को देखते हुए कहा जा सकता है कि वह इस चुनाव को जीत-हार से ज्यादा नई तरह की राजनीतिक के एक प्रयोग के तौर पर देखना पसंद करेंगे।