पाकिस्तान जाने वाले पानी को रोकेगा भारत, जल संधि मानने पर बाध्य नहीं- नितिन गडकरी
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है अगर पड़ोसी देश ने आतंकवाद का समर्थन करना बंद नहीं किया तो भारत अपने हिस्सा का पानी पाकिस्तान जाने से रोकेगा। गडकरी ने कहा, "हमने इस बारे में स्टडी करना शुरू कर दिया है। पाकिस्तान जाने से रोके जाने वाला पानी हरियाणा, पंजाब और राजस्थान को दिया जाएगा।" अमृतसर में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे गडकरी ने मीडिया को संबोधित करते हुए ये बातें कही। आइये, जानते हैं कि उन्होंने और क्या-क्या कहा।
भारत संधि मानने का बाध्य नहीं- गडकरी
गडकरी ने कहा दोनों देशों की जल संधि शांतिपूर्ण रिश्ते और मित्रता पर आधारित थी, जो अब पूरी तरह खत्म हो चुकी है। इसलिए भारत इस संधि का पालन करने के लिए बाध्य नहीं है। पुलवामा हमले के बाद भी गडकरी ने ऐसा ही ऐलान किया था। तब उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान जाने वाली नदियों के पानी को बांध बनाकर रोकने की योजना बनाई जा रही है। इस पानी को यमुना में मिलाया जाएगा।
तब हुई थी यमुना को पुनर्जीवित करने की बात
गडकरी ने फरवरी में एक रैली में कहा था कि पाकिस्तान को जाने वाली 3 नदियों (रवि, सतलज, व्यास) के पानी को पाकिस्तान की तरफ से मोड़ कर यमुना परियोजना में इस्तेमाल किया जाएगा। उन्होंने कहा, "जब भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ तो पाकिस्तान को 3 और भारत को 3 नदियों को दिया गया। हालांकि भारत ने पाकिस्तान को लगातार पानी दिया, लेकिन अब इसका इस्तेमाल यमुना परियोजना के तहत यमुना नदी को पुनर्जीवित करने के लिए किया जाएगा।"
तीनों नदियों पर है भारत का अधिकार
गडकरी ने कहा कि ऐसा करने के बाद पाकिस्तान बूंद-बूंद पानी को तरसेगा। बता दें कि इन तीनों नदियों के पानी पर भारत का अधिकार है, लेकिन फिर भी भारत पाकिस्तान को पानी देता रहा है। 2016 में उरी हमले के बाद भारत सरकार ने इन तीनों नदियों के जरिए पाकिस्तान में जाने वाले पानी को रोकने के लिए जल परियोजनाओं में तेजी लाने का फैसला लिया था। गडकरी इन्हीं परियोजनाओं की ओर इशारा कर रहे थे।
भारत और पाकिस्तान के बीच हुई है सिंधु जल संधि
भारत के प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तानी राष्ट्रपति आयूब खान के बीच 19 सितंबर 1960 को सिंधु जल संधि हुई थी। संधि के तहत सिंधु घाटी में बहने वाली 3 पूर्वी नदियों (रवि, सतजल, व्यास) पर भारत का अधिकार है, जबकि 3 पश्चिमी नदियों (सिंधु, झेलम, चिनाब) पर पाकिस्तान का अधिकार है। नदियां भारत से होकर बहती हैं, इसलिए पश्चिमी नदियों के 20 प्रतिशत पानी का इस्तेमाल भारत सिंचाई और अन्य सीमित कार्यों के लिए कर सकता है।