मल्लिकार्जुन खड़गे बने कांग्रेस अध्यक्ष, शशि थरूर को हराया
वरिष्ठ नेता मल्लिकार्जुन खड़गे कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए हैं। इस पद के लिए हुए चुनाव में उन्होंने शशि थरूर को हराया है। 17 अक्टूबर को हुए चुनाव में खड़गे को 7,897 से ज्यादा वोट मिले हैं, जबकि थरूर लगभग 1,000 वोट ही हासिल कर पाए। इसके साथ ही लगभग 25 साल बाद कांग्रेस को गैर-गांधी अध्यक्ष मिल गया है। पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय तक कांग्रेस की कमान गांधी परिवार के पास रही थी।
9,385 वोटों में से खड़गे को मिले 7,897 वोट
17 अक्टूबर को हुए चुनाव में कुल 9,385 वोट डाले गए थे। इनमें से 7,897 वोट खड़गे और 1,072 वोट थरूर को मिले हैं, जबकि 416 वोट रद्द हो गए। चुनावी नतीजों के ऐलान के बाद शशि थरूर ने मल्लिकार्जुन खड़गे को बधाई देते हुए ट्वीट किया है कि कांग्रेस का अध्यक्ष बनना सम्मान की बात है और यह बड़ी जिम्मेदारी वाला पद है। थरूर ने अपने समर्थन के लिए हजारों सहकर्मियों का धन्यवाद किया है।
नतीजे आने के बाद खड़गे से मिले थरूर
प्रबल दावेदार माने जा रहे थे खड़गे
इस मुकाबले में खड़गे का पलड़ा पहले से ही भारी माना जा रहा था और उन्हें पार्टी के अनाधिकारिक 'आधिकारिक उम्मीदवार' के तौर पर देखा जा रहा था। पार्टी ने कहा था कि वह किसी भी उम्मीदवार का पक्ष नहीं लेगी, लेकिन कई वरिष्ठ नेता खड़गे का समर्थन कर चुके थे। दूसरी तरफ शशि थरूर खुद को बदलाव के उम्मीदवार के तौर पर पेश कर रहे थे, लेकिन वो जीतने लायक मत हासिल नहीं कर सके।
नौ बार विधायक और दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं खड़गे
कर्नाटक से आने वाले मल्लिकार्जुन खड़गे का जन्म 21 जुलाई, 1942 को बीदर में हुआ था। उनकी स्कूली पढ़ाई गुलबर्गा के नूतन स्कूल से हुई और उन्होंने सरकारी कॉलेज से कानून की डिग्री ली। वो कॉलेज में मजदूर आंदोलन से जुड़े और छात्र संघ महासचिव बने। बाद में 1969 में कांग्रेस में आकर गुलबर्गा कांग्रेस के जिला अध्यक्ष बने और 1972 में पहला चुनाव लड़ा। खड़गे नौ बार विधायक और दो बार लोकसभा सांसद रहे हैं।
137 सालों में छठी बार हुए आंतरिक चुनाव
कांग्रेस के 137 सालों के इतिहास में यह छठी बार था, जब अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी में आंतरिक चुनाव हुए थे। यह चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण था क्योंकि इससे पार्टी को सोनिया गांधी की जगह नया अध्यक्ष मिला है। सोनिया गांधी 1998 के बाद से सबसे लंबे समय तक कांग्रेस अध्यक्ष रही हैं। हालांकि, बीच में 2017 से लेकर 2019 तक राहुल गांधी को पार्टी की कमान सौंपी गई थी, जिन्होंने लोकसभा चुनाव के बाद इस्तीफा दे दिया था।