गुजरात: भाजपा सरकार का बड़ा दांव, यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने के लिए बनाई समिति
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले राज्य की भाजपा सरकार ने एक बड़ा दांव खेला है। राज्य सरकार की कैबिनेट ने आज यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) लागू करने को लेकर विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने का फैसला लिया। हाई कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता वाली यह समिति यूनिफॉर्म सिविल कोड के कार्यान्वयन के सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श करेगी और इसकी रिपोर्ट के आधार पर UCC को लागू करने का फैसला लिया जाएगा।
उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी UCC पर बना चुकी है समिति
गुजरात सरकार ऐसा कदम उठाने वाली देश की दूसरी सरकार होगी। इससे पहले उत्तराखंड की भाजपा सरकार भी राज्य में UCC लागू करने के लिए रिटायर्ड जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई के नेतृत्व में एक छह सदस्यीय विशेषज्ञ समिति का गठन कर चुकी है। मार्च में ये समिति बनाने का फैसला लिया गया था। इस महीने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद नई सरकार का गठन हुआ था और चुनाव में भाजपा ने UCC लागू करने का वादा किया था।
क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?
यूनिफॉर्म सिविल कोड का मतलब है- देश के सभी वर्गों पर एक समान कानून लागू होना। अभी देश में विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद जैसे मुद्दों पर सभी धर्मों के अपने अलग-अलग निजी कानून हैं और वे उन्हीं के मुताबिक चलते हैं। UCC लागू होने पर सभी धर्मों के लोगों को इन मुद्दों पर भी एक जैसे कानून का पालन करना होगा। ये महज एक अवधारणा है और विस्तार में इसका रूप कैसा होगा, इस पर कुछ तय नहीं है।
संविधान का UCC पर क्या कहना है?
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में UCC का जिक्र किया गया है। इसमें सरकार को सभी नागरिकों के लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड बनाने का निर्देश दिया गया है। अभी देश में हिंदू, सिख, बौर्ध और जैन जैसे भारतीय धर्मों के लिए तो हिंदू कोड बिल हैं जो शादी, तलाक और उत्तराधिकार जैसे क्षेत्रों में लागू होते हैं, लेकिन अन्य धर्मों के अलग-अलग कानून हैं। मुस्लिमों पर मुस्लिम पर्सनल लॉ लागू होता है जिसमें 1937 से खास सुधार नहीं हुआ।
UCC पर कोर्ट और केंद्र सरकार का क्या रुख है?
देश की विभिन्न कोर्ट कई मौकों पर सरकार को UCC लागू करने की दिशा में कदम उठाने का निर्देश दे चुकी हैं, लेकिन सरकारें इस दिशा में आगे बढ़ने से हिचकती रही हैं। UCC लागू करना मौजूदा भाजपा सरकार का एक बड़ा वैचारिक वादा है। विशेषज्ञों का कहना है कि इसे लागू करने से पहले इस पर पर्याप्त बहस की जानी चाहिए और अगर UCC का इस्तेमाल केवल सांप्रदायिक राजनीति के संदर्भ में किया जाता है तो ये नुकसानदायक होगा।