केंद्र सरकार ने दी इलेक्टोरल बॉन्ड की मंजूरी, जानिए इसकी खास बातें
उत्तर प्रदेश समेत देश में पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों से पहले केंद्र सरकार ने इलेक्टोरल बॉन्ड की मंजूरी दे दी है। इलेक्टोरल बॉन्ड की खरीदारी आज से शुरू हो गई है। ऐसे में आप अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा दे सकते हैं। आपको बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड जारी करने का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता लाना है। आइए जानते हैं क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड।
क्या है इलेक्टोरल बॉन्ड?
इलेक्टोरल बॉन्ड एक कागज की तरह होता है, जिसमें बॉन्ड का मूल्य लिखा होता है। इस बॉन्ड की शुरूआत साल 2018 में हुई थी। इसको जारी करने के दौरान सरकार ने दावा किया था कि इससे राजनीति चंदे में पारदर्शिता आएगी। वहीं एक बार फिर से सरकार ने इसे जारी करने की मंजूरी दी है। इसके जरिए कोई भी शख्स इस बॉन्ड के माध्यम से अपनी पसंदीदा राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकता है।
इस तरह खरीद सकते हैं इलेक्टोरल बॉन्ड
सरकार की मंजूरी के बाद कोई भी शख्स इलेक्टोरल बॉन्ड को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) की शाखा से खरीद सकता है। इस बॉन्ड की कीमत 1,000 रुपये से लेकर एक करोड़ रुपये तक है। ये इलेक्टोरल बॉन्ड एक जनवरी से 10 जनवरी तक जारी किए जाएंगे। ये बॉन्ड आपको SBI की 29 शाखाएं जैसे लखनऊ, शिमला, देहरादून, कोलकाता, गुवाहाटी, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, पटना, नई दिल्ली, चंडीगढ़, श्रीनगर, गांधीनगर, भोपाल, रायपुर और मुंबई जैसे शहरों में मिलेंगे।
इलेक्टोरल बॉन्ड की खास बातें
इलेक्टोरल बॉन्ड 1,000, 10,000, एक लाख और एक करोड़ रुपये के मिलते हैं। जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर की शुरूआत से 10 दिनों तक बॉन्ड खरीदने का प्रावधान है। बॉन्ड खरीदने के लिए बैंक अकाउंट का KYC होना जरूरी है। बॉन्ड खरीदने की तारीख से 15 दिनों तक मान्य रहता है। चंदा देने वाले का नाम सिर्फ बैंक के पास होता है। इसके अलावा कोई और नहीं जान सकता।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
DW की रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2019-20 में भारतीय जनता पार्टी को इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए 2,555 करोड़ रुपये मिले थे। वहीं साल भर में कुल बेचे गए 3,435 के बॉन्ड में से कांग्रेस को नौ फीसदी यानी 318 करोड़ रुपये मिले थे।