महाराष्ट्र: भाजपा और शिवसेना के बीच चल रही बैकडोर बातचीत में क्या खिचड़ी पक रही है?
महाराष्ट्र में सत्ता के बंटवारे को लेकर भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना में रही अनौपचारिक बातचीत में भाजपा ने शिवसेना को अभी सरकार में शामिल होने और मुख्यमंत्री पद पर बाद में चर्चा करने का प्रस्ताव दिया है। भाजपा का कहना है कि उसका शीर्ष नेतृत्व अभी मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं है, लेकिन छह-सात महीने बाद इसके बंटवारे को लेकर बातचीत की जा सकती है। इस बीच भाजपा के नेता आज राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलेंगे।
सत्ता के बंटवारे को लेकर आमने-सामने हैं भाजपा और शिवसेना
बता दें कि भाजपा और शिवसेना महाराष्ट्र की 288 विधानसभा सीटों पर गठबंधन में चुनाव लड़े थे। चुनाव में भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिलीं और जनता ने उन्हें गठबंधन में सरकार बनाने का आदेश दिया। लेकिन दोनों पार्टियों में सत्ता के बंटवारे को लेकर अभी तक सहमति नहीं बनी है। शिवसेना ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद और अहम मंत्रालय मांग रही है, वहीं भाजपा मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं है।
बैकडोर बातचीत के जरिए हो रही गतिरोध खत्म करने की कोशिश
दोनों पार्टियों के बीच जारी इसी गतिरोध को तोड़ने के लिए भाजपा शिवसेना से अनौपचारिक (बैकडोर) बातचीत कर रही है। इसके बारे में 'हिंदुस्तान टाइम्स' से बात करते हुए भाजपा के एक नेता ने गोपनीयता की शर्त पर बताया, "हमने उनसे (शिवसेना) अभी सरकार में शामिल होने को कहा है क्योंकि गठबंधन का स्पष्ट जनादेश है। ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री पद की उनकी मांग पर छह-सात महीने बाद दिल्ली नेतृत्व से चर्चा की जा सकती है।"
मुख्यमंत्री पद पर जिद छोड़े शिवसेना तो बराबर मंत्री पद देने को तैयार भाजपा
भाजपा नेता ने बताया कि उनकी पार्टी का शीर्ष नेतृत्व अभी मुख्यमंत्री पद छोड़ने को तैयार नहीं है। उनके अनुसार, भाजपा ने शिवसेना से कहा है कि अगर वो अभी के लिए मुख्यमंत्री पद पर अपनी जिद छोड़ते हैं तो मंत्रिमंडल में बराबर हिस्सेदारी और कुछ अहम मंत्रालय की उनकी मांग पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि दो मध्यस्थों के जरिए बैकडोर बातचीत की जा रही है, जिनमें से एक-एक दोनों पार्टियों के करीब है।
"राष्ट्रपति शासन लगना दोनों पार्टियों के लिए होगा शर्मनाक"
राज्यपाल के पास सरकार गठन के दावे पर भाजपा नेता ने कहा, "भाजपा बिना स्पष्ट बहुमत के दावा नहीं करेगी, इसलिए अगर शिवसेना जबाव नहीं देती तो हम उन्हें दावा करने देंगे नहीं तो राष्ट्रपति शासन लगेगा।" भाजपा के एक अन्य वरिष्ठ नेता ने इस पर कहा, "हम दोनों में से कोई भी अभी राष्ट्रपति शासन का खतरा नहीं उठा सकता। अगर राज्यपाल को राष्ट्रपति शासन लगाना पड़ा तो ये शर्मनाक होगा क्योंकि जनता ने हमें स्पष्ट बहुमत दिया है।"
सरकार बनाने का दावा करने के लिए शनिवार तक का समय
बता दें कि भाजपा और शिवसेना के पास सरकार बनाने का दावा करने के लिए शनिवार तक का समय है, वर्ना राज्य में राष्ट्रपति शासन लग सकता है। भाजपा को उम्मीद है कि वो तब तक शिवसेना को बनाने में कामयाब रहेगी, लेकिन शिवसेना के रुख को देखते हुए इसके आसार नजर नहीं आ रहे। शिवसेना 50-50 फॉर्मूले के तहत सत्ता और मुख्यमंत्री पद के बंटवारे की अपनी मांग पर झुकने को तैयार नहीं है।
अन्य विकल्पों पर विचार करने की धमकी भी दे चुकी है शिवसेना
इस बीच शिवसेना राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के साथ सरकार बनाने की धमकी भी देती रही है। हालांकि बुधवार को NCP प्रमुख शरद पवार ने इस संभावना को खारिज करते हुए कहा कि कांग्रेस-NCP को विपक्ष में बैठने का जनादेश मिला है।
'सामना' में शिवसेना का भाजपा पर विधायक खरीदने की कोशिश करने का आरोप
शिवसेना अपने मुखपत्र 'सामना' के जरिए भी भाजपा पर निशाना साधती रही है। गुरूवार को इसमें लिखे एक संपादकीय में शिवसेना ने भाजपा पर पैसों से विधायक खरीदने की कोशिश करने का आरोप लगाया है। संपादकीय में लिखा गया है, "पिछली सरकार पैसे की शक्ति के दम पर नई सरकार बनाने का प्रयास कर ही है। लेकिन कोई किसानों की मदद नहीं कर रहा, इसलिए किसान शिवसेना का मुख्यमंत्री चाहते हैं।
"राज्य में मूल्यहीन राजनीति नहीं चलने देगी शिवसेना"
संपादकीय में आगे दावा किया गया है, "कुछ लोग पैसे के दम पर शिवसेना के विधायकों को अपनी तरफ करना चाहते हैं। ऐसी शिकायतें बढ़ती ही जा रही हैं। शिवसेना राज्य में मूल्यहीन राजनीति नहीं चलने देगी।"