
ममता के गढ़ में अमित शाह, जानें क्या है भाजपा की 'लुक ईस्ट रणनीति'
क्या है खबर?
कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में विपक्षी एकजुटता का नजारा दिखने के बाद अब गरजने की बारी भारतीय जनता पार्टी की है।
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को इसी मैदान पर रैली करेंगे। शाह की इस रैली को भाजपा की 'लुक ईस्ट रणनीति' का हिस्सा माना जा रहा है।
आइए जानते हैं क्या है भाजपा की यह 'लुक ईस्ट रणनीति' और यह लोकसभा चुनाव में कितनी महत्वपूर्ण साबित हो सकती है।
रणनीति
क्या है 'लुक ईस्ट रणनीति'?
'लुक ईस्ट रणनीति' का मतलब है कि भाजपा इस बार पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में अपने विस्तार पर ज्यादा ध्यान देगी। उसका मकसद इन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें जीतना है।
पूर्वी भारत और पूर्वोत्तर में कुल मिलाकर 142 लोकसभा सीटे हैं। भाजपा ने 2014 लोकसभा चुनाव में इनमें से 54 सीटों पर कब्जा किया था।
लेकिन भाजपा अपना पढ़ उत्तर भारत छोड़कर इन राज्यों की ओर क्यों जा रही है, आइए इस सवाल का जबाव भी जानते हैं।
उत्तर भारत
उत्तर भारत के नुकसान की भरपाई करेगी 'लुक ईस्ट रणनीति'
पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा की करिश्माई जीत का श्रेय उत्तर और पश्चिम भारत के राज्यों में शानदार प्रदर्शन को गया था। लेकिन इस बार उस प्रदर्शन को दोहराना मुश्किल लग रहा है।
हाल ही में पार्टी को 3 हिंदी राज्यों के विधानसभा चुनावों में हार का सामना भी करना पड़ा है।
इन राज्यों में होने वाले संभावित नुकसान की भरपाई के लिए भाजपा ऐसे राज्यों में अपने कदम फैला रही है, जहां उसे 2014 में कम सीटें मिली थी।
पूर्वी भारत
पूर्व में पार्टी अभी भी मजबूत
भाजपा की 'लुक ईस्ट रणनीति' में पूर्वी भारत के पश्चिम बंगाल, ओडिशा, बिहार और झारखंड राज्य और पूरा पूर्वोत्तर शामिल है।
जहां पूर्वी भारत में लोकसभा की 117 सीटें हैं, वहीं पूर्वोंत्तर में 25 सीटें हैं।
2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली NDA ने पूर्व की 46 सीटों पर जीत दर्ज की थी।
बिहार और झारखंड में पार्टी अभी भी मौजूद है, वहीं ओडिशा में 'बीजू जनता दल' के खिलाफ सत्ता विरोधी माहौल है, जिसका भाजपा फायदा उठा सकती है।
पश्चिम बंगाल
पश्चिम बंगाल से सबसे ज्यादा उम्मीदें
भाजपा को सबसे ज्यादा उम्मीद पश्चिम बंगाल से है। भाजपा ने यहां 42 में से 22 सीटों पर जीतने का लक्ष्य रखा है।
पिछले लोकसभा चुनाव के बाद पार्टी ने बंगाल में आक्रामक तरीके से विस्तार किया है और वह मुख्य विरोधी दल की छवि पाने में कामयाब रही है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की 'मुस्लिम तुष्टीकरण' वाली छवि भी भाजपा को विस्तार में सहायता प्रदान कर सकती है। इसलिए शाह बंगाल में गरजने की तैयारी कर रहे हैं।
पूर्वोत्तर
पूर्वोत्तर पर भी भाजपा गठबंधन का कब्जा
अगर बात पूर्वोत्तर की करें तो यहां 25 लोकसभा सीटें हैं।
इस इलाके को कांग्रेस का किला माना जाता था और यह राय थी कि यहां भाजपा का विस्तार असंभव है।
लेकिन पार्टी की मेहनत का असर ये है कि आज ज्यादातर राज्यों में भाजपा के नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) की सरकार है।
भाजपा शासित असम में सबसे ज्यादा 13 लोकसभा सीटें हैं।
इन राज्यों में विस्तार भाजपा को एक बार फिर से दिल्ली की गद्दी दिला सकता है।